गाजीपुर।अंधापन निवारण सप्ताह (1 अप्रैल से 7 अप्रैल)के दृष्टिगत ज़मानियाँ ब्लॉक के डेहरिया गाँव में काली माता मंदिर के परिसर में अपराह्न जनजागरूकता अभियान के प्रथम दिन सभा का आयोजन शिक्षक रमेश सिंह यादव के अध्यक्षता में हुआ।
जिसमें दृष्टिहीनता की बढ़ती संख्या को लेकर लोगों के अंदर सजगता के सम्बन्ध में विस्तार से चर्चा भी की गई । सभा मे बोलते हुए शिक्षक रमेश सिंह यादव ने कहा कि वर्तमान समाज में लगभग 3.7 करोड़ लोग दृष्टिहीन हैं तथा 12.4 करोड़ लोग गंभीर रूप से नेत्र विकारों से प्रभावित हैं। इस विकराल स्थिति से बचाव या तत्काल उपचार से लगभग 70 से 80 प्रतिशत तक लोंगो को बचाया जा सकता है।दुनिया मे सबसे ज्यादा अंधे लोग भारत में हैं तथा इसका लगभग 70 प्रतिशत दृष्टिहीन लोग भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं जहां पर उनकी आँखों की अच्छी देखभाल के लिए कुछ भी उपलब्ध नहीं है।
श्री यादव ने कहा कि एक तरफ ये गांव के गरीब लोग जो आँख की अच्छी चिकित्सा सुबिधा से दूर हैं तो वहीं दूसरी तरफ सही जानकारी और उचित परामर्श। इन लोगों को अपने जीवन में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिये जैसे- संतुलित भोजन करें, अयोग्य चिकित्सकों से उपचार न कराएं, बच्चों से दवाइयाँ, एसिड, रसायन, खाने की गर्म चीज़ें एवं नुकीली वस्तुएं दूर रखें, नुकीली वस्तुओं, तीर-धनुष एवं गिल्ली-डंडा के साथ खेलने से बच्चों को हतोत्साहित करें। जब भी वाहन चलाएं या कोई भी औद्योगिक काम करें तो सुरक्षात्मक चश्मे का उपयोग करें, आंख न रगड़ें, आँसुओं द्वारा बाह्य वस्तु को आँख से हटाने की कोशिश करें या आईवॉश का प्रयोग करें, ऊपरी पलक ऊपर उठाएं तथा निचली पलक नीचे करके बाह्य वस्तु निकालने की कोशिश करें, यदि बाह्य वस्तु नहीं हटती है तो आंखें बंद रखें, हल्के ढंग से पट्टी बाँधे, आंख में फूंक मारें, जब भी कोयला, लकड़ी, रेत आदि का कोई छोटा कण आंख में जाए तो आंखें न रगड़े, सूर्य-ग्रहण नग्न आँखों से न देखें, अच्छे नेत्र चिकित्सक से तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लिया जाना चाहिये।
आगे उन्होनें कहा कि आंखे बहुत ही नाजुक होती हैं जिनके अंदर दुर्बलता कई कारणों जैसे विटामिन ए की कमी, चेचक, मोतियाबिंद,आँख की जन्मजात बीमारी, रेटिनल रोग, सजातीय विवाह, मदिरापान, तम्बाकू, मधुमेह , आघात या चोट, कीड़े के डंक या काटने से, धूल कण (बाह्य वस्तु), रासायनिक पदार्थ से जलना, दुर्घटनाएं, गिरने की वजह से चोटें, रसायन से जलना, हानिकारक आदतें जैसे- स्वयं दवा लेना, आँखों की पारम्परिक दवाएं- पत्तियों या जड़ी बूटियों/ मानव मूत्र/ पशु उत्पादों का अर्क, आदि से हो सकती है ।यदि ठीक ढंग से कार्यवाही नही हुए तो यह दृष्टिहीनता से पीड़ित लोंगो की संख्या और भी बढ़ती ही जाएगी।
सभा में रामनगीना, शिवजी, संतोष, गामा, सिंटू, रोशन,रानी, दीपक, सोनू, मदीना, पिंकी, सबिना, कुमारिया, रीता, गौरी शर्मा , रूबी, प्रदीप, मंटू, लवकुश, सुधीर, दीपक, नीतीश, आयुष, अंकित, ऋषिराज, आदि लोग उपस्थित थे।कार्यक्रम के अंत मे सहायक अध्यापक देवेंद्र कुमार ने सभा में उपस्थित सभी लोंगो के प्रति आभार व्यक्त किया।