जमानिया। दलहन की महंगाई की मार झेल रहे लोगों के लिए बुरी खबर है। किसानों की उम्मीद पर एक बार फिर पानी फिरने की संभावना बढ़ती नजर आ रही है। फूलों के बाद अब फली का रूप ले रही अरहर की फसल में प्लूम मोथ और अरहर की फल मक्खी नामक कीट फसलों को प्रभावित कर रहे है। जिसको लेकर किसान काफी परेशान हैं।
तहसील क्षेत्र के किसान जद्दोजहद कर फसल उगते है। तहसील क्षेत्र के 60 प्रतिशत किसान भगवान भरोसे ही खेती करते है। इस बार बारिश कम हुई जिससे किट पैदा हो गए और फसलों को नुकसान पहुंचा रहे है। वैसे किसानों के लिए खेती हमेशा से जोखिम भरा सौदा ही रहा है। वही सरकार के नुमाइंदों की उदासीनता किसानों की चिंता बढ़ा दी रहे है। कभी जंगली जानवरों का आतंक तो कभी कीट का प्रकोप फसल तबाह कर रहा है। एक दशक पूर्व तक व्यापक पैमाने पर अरहर की खेती करने वाले किसान अब नाम मात्र की खेती कर रहे हैं। इस बार फिर अरहर के पेड़ों की डालियों, फल पर चिपके प्लूम मोथ और अरहर की फल मक्खी कीट देख किसानों के होश उड़ गए हैं। राजेन्द्र सिंह, अरविंद, अशोक यादव, दुर्गा प्रसाद आदि किसान कहते हैं कि अरहर की फसल में लगने वाले कीट फसलों को बर्बाद कर देते हैं। इनकी रोकथाम के लिए सरकार के स्तर से प्रयास किया जाना चाहिए। जिससे फसलों को नुकसान से बचाया जा सके। खेतों के भ्रमण के समय उपस्थित रमेश सिंह यादव, भूतपूर्व शोधार्थी और सीनियर रिसर्च फेलो (एनपीआईबी) कीट एवं कृषि जंतु विज्ञान, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने पाया कि बारिश कम होने के साथ-साथ अरहर में प्लूम मोथ और अरहर की फल मक्खी नामक कीट फसल को प्रभावित कर रहे है। जिससे फसल औसत उपज भी मिल पाना बहुत मुश्किल है। उनका कहना है कि कृषि कीट वैज्ञानिकों के अनुसार ये कीट 50% से लेकर 72% तक अरहर की फसलों को नुकसान करने की क्षमता रखते हैं। जिससे किसान परेशान है और उनकी गाढ़ी कमाई की फसल को किट चाट रहे है।