गाजीपुर। पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षयरोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत चलाये जा रहे टीबी सक्रिय खोज अभियान जिले में 5 से 16 फरवरी तक सफलतापूर्वक चलाया गया, जिसमें टीबी मरीजों को खोजने के लिए उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों को निर्धारित किया गया था।
मलिन बस्तियाँ, घनी आबादी, एक ही कमरे में रह रहे गरीब तबके के लोग, स्वास्थ्य और स्वच्छता की जागरूकता का अभाव आदि प्रमुख कारण है जो दर्शाते हैं कि इस प्रकार के क्षेत्रों में टीबी के संभावित मरीज पाये जा सकते हैं। इसी क्रम ने कई छिपे हुए मरीजों को खोजा गया।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ राजेश कुमार सिंह ने बताया कि जनपद की कुल जनसंख्या 40.1 लाख है जिसमें माइक्रोप्लान के तहत अभियान के लिए 3.7 लाख को लक्ष्यित किया गया था। अभियान में 1.5 लाख की स्क्रीनिंग की गई और स्क्रीनिंग के बाद 1,493 लोगों के बलगम एकत्रित कर जांच की गयी। इस जांच प्रक्रिया में कुल 39 मरीज टीबी के चिन्हित किये गये जबकि एक्सरे रिपोर्ट से 15 मरीजों को चिन्हित किया गया।उन्होंने बताया कि सघन टीबी खोज अभियान का यह तीसरा चरण है। इसके पूर्व 4 माह पहले भी सेकंड राउंड का अभियान शुरू किया गया था इस बार के अभियान में मोहम्मदाबाद टीबी यूनिट के द्वारा बरतर, शेरपुर और बाराचवर, सैदपुर टीबी यूनिट के नायकडीह, सुभाकरपुर के बिरनो, भदौरा के जमानिया जिला क्षय रोग केंद्र के रेवतीपुर, नवली, उतरौली, ड़ेढगावा, जखनिया के मनिहारी कासिमाबाद के मरदह पर सघन टीबी खोज अभियान का कार्य किया गया। इस अभियान के अंतर्गत कुल 19 सुपरवाइजरो के अंतर्गत 82 टीम द्वारा कार्य किया।टीबी के ये लक्षण हैं जो एक बार में पहचाने जा सकते हैं। दो सप्ताह या उससे अधिक समय से लगातार खाँसी का आना, खाँसी के साथ बलगम का आना, बुखार आना (विशेष रूप से शाम को बढ़ने वाला), वजन का घटना, भूख कम लगना, सीने में दर्द, बलगम के साथ खून आना आदि इसके मुख्य लक्षण हैं। इसमें से किसी तरह के लक्षण दिखाई देने पर सीधे अपने निकटतम सेंटर पर पर पहुच कर इलाज़ करा सकते हैं।ध्यान रखने योग्य बातें – टीबी के मरीजों को खांसते व् छींकते समय नाक व् मुंह को कपडें से ढक कर रखें और इधर-उधर न थूकें, जिससे यह अन्य लोगों में न फैले।