गहमर। पशु आश्रय केंद्र में तिल तिल के भूखे प्यासे तड़पकर दम तोड़ रहे हैं पशु, किसान नेता भानु प्रताप सिंह ने पशुओं की दुर्दशा पर जिलाधिकारी को अवगत कराते हुए आवश्यक उचित कार्यवाई की मांग की है।
तहसील क्षेत्र के विभिन्न गांव से छुट्टा पशुओं को पकड़ कर पहले सेवराई पानी टंकी एवं फिर बाद में अमौरा गांव स्थित अस्थाई पशु आश्रय केंद्र में रखा गया है। गुरुवार को पशु आश्रय केंद्र पहुंचे किसान नेता भानु प्रताप सिंह ने पशुओं की दुर्दशा पर जमकर दोषियों पर बरसते हुए जिलाधिकारी से उचित आवश्यक कार्यवाई की मांग की है। किसान नेता ने आरोप लगाते हुए बताया जी शुरुआत के दौर में तकरीबन 98-100 पशुओं की आश्रय केंद्र में रखा गया है। जिसके सापेक्ष प्रति पशु शासन से पशुचारा के लिए राशि भी आवंटित हुई। लेकिन खण्ड विकास अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी व ग्राम प्रधान की मिली भगत से पशु चारा की राशि का भी बंदरबाट हो गया। यही नही पशुओ के खाने के लिए बनने वाले चरन और पानी की भी उचित व्यवस्था नही है। जिससे खाने के लिए रखे गए भूसा में ही पशु गोबर कर रहे हैं। केवल भूसा और पानी पीकर ही पशुओं को जीना पड़ रहा है। अब तक एक एक करके करीब तीन दर्जन से भी अधिक पशु दम तोड़ चुके हैं। वर्तमान में मात्र 58 पशु ही शेष बचे हुए हैं। पशुओं के चारा पानी देने के लिए शिफ्ट वाइज सफाई कर्मियों की तैनाती की गई है। लेकिन एक सफाईकर्मी के भरोसे 58 पशु है जिनका समय से चारा पानी उपलब्ध नही हो पा रहा है। किसान नेता भानु प्रताप सिंह ने बताया कि कई बार उपजिलाधिकारी विक्रम सिंह, सहित ग्राम प्रधान व सचिव से इसकी शिकायत की जा चुकी है लेकिन स्थिति बद से बदत्तर बनी हुई हैं। पशु आश्रय केंद्र अमौरा में सांडो के इस तरह दम तोड़ने से क्षेत्र के पशु पालक अपने दुधारू पशु को चार्ज कराने की चिंता से चिंतित हैं। चेताया कि इससे बेहतर तो वो बाहर ही थे कम से कम एक बार मे ही कट जाते थे इस तरह आश्रय केंद्र में एक एक करके तिल तिल कर भूखे प्यासे दम तोड़ रहे हैं। उन्होंने जिले के उच्चाधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराते हुए चेताया अगर जल्द ही पशु आश्रय केंद्र का सुधि नही लिया गया तो उसमें केवल पशुओं का शव मिलेगा जिंदा पशु नही और पशु पालकों को भी अपने पशुओं के लिए कृतिम गर्भधारण कराने की मजबूर होना पड़ेगा। उन्होंने दोषियों के खिलाफ कार्यवाई करते हुए रिकवरी की भी मांग की हैं।