खुजली और फंगस के मरीजों की बढ़ती संख्या से स्वास्थ्य विभाग सतर्क

खुजली और फंगस के मरीजों की बढ़ती संख्या से स्वास्थ्य विभाग सतर्क

ग़ाज़ीपुर। जनपद में खुजली और फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से सतर्क है। चर्म रोग के कुछ ऐसे मामले भी सामने आएं हैं जो ठीक होने में डेढ़ महीना तक लगता है जबकि खुजली और फंगस समान्यतः एक से दो हफ्ते में ठीक हो जाता है। वर्तमान में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोड़उर पर एक दिन में 40 से 50 मरीज आ रहे हैं। इस तरह का संक्रमण होते ही अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल में दिखाएँ और पूरी दवा लेकर अपना इलाज कराएं। इसके साथ ही इन दिनों सर्दी और खांसी के मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है जिससे भी सावधान रहने की जरूरत है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोड़उर पर तैनात डॉ अखिलेश ने बताया कि मौजूदा समय में खुजली और फंगस के मरीजों की संख्या में ज्यादा बढ़ोतरी हो गई है जिसकी वजह से इन दिनों इसके ज्यादा मरीज आ रहे हैं। स्वास्थ्य केंद्र पर इन रोगों का इलाज और दवा पूर्ण रूप से नि:शुल्क उपलब्ध है । उन्होंने बताया कि खुजली छोटे कीटाणु माइटस इन्फेक्शन से होता है जो एक दूसरे के संपर्क में आने, हाथ मिलाने, एक-दूसरे के कपड़े पहनने, दूसरे का बिस्तर और तौलिया का प्रयोग करने से होता है। इस कारण शरीर में पहले छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं और खुजलाने पर फुंसी का रूप ले लेते हैं। यह दाने अधिकतर उंगलियों के बीच में होते हैं और इसका असर रात के वक्त ज्यादा होता है। वहीं फंगस शरीर के नमी वाले हिस्सों में होता है।
डॉ सुजीत कुमार सिंह ने बताया कि यदि इस तरह के लक्षण किसी भी व्यक्ति को दिखाई दें तो तत्काल अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचकर डॉक्टर से उचित सलाह लेकर दवा लें या जिला अस्पताल पहुंचकर चर्म रोग विभाग में इसकी जानकारी व परामर्श लें। उन्होंने बताया कि यदि इन दोनों रोगों से बचाव के लिए कपड़ों को उबलते पानी में धुलें, बेडशीट व चादर दूसरों का इस्तेमाल न करें, कपड़ों को तेज धूप में अच्छे से सुखाएं, चुस्त कपड़े न पहनें, कपड़ा पहनते समय गर्मी में प्रयोग होने वाले टेलकम पाउडर लगाकर कपड़े पहने, गीले कपड़े का प्रयोग न करें, कॉटन या सूती कपड़े का प्रयोग करे, सिंथेटिक कपड़ों से परहेज करें। उन्होंने बताया कि यह संचारी रोग है जो परिवार में एक सदस्य को होने से दूसरे सदस्य के संपर्क में आने से आसानी से हो सकता है। ऐसे में बचाव ही इस रोग का इलाज है।