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महाकुंभ में स्नान करने के लिए देश में लोगों के बीच आस्था का केंद्र बिंदु बन चुका है और इस महाकुंभ में स्नान करने के लिए देश में ही लोगों के बीच आस्था का क्रम नहीं रुक रहा है तो वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो सनातन की इस आस्था पर विश्वास करते हैं और ऐसा ही कुछ एक दिन पूर्व संत रविदास की जयंती पर मनाए गए महाकुंभ स्नान की भीड़ को माघी पूर्णिमा पर आयोजित महाकुंभ स्नान की भीड़ ने कहा था कि इसका क्या मतलब है। बैकुंठ में जाने का रास्ता खुल जाएगा और भीड़ देखने से ऐसा मिल रहा है कि अब नर्क में कोई नहीं बचेगा और स्वर्ग में हाउसफुल हो जाएगा।
एक दिन पूर्व माघी पूर्णिमा और संत रविदास की जयंती पूरे देश में मनाई गई और इसी माघी पूर्णिमा के अवसर पर सनातन धर्म से जुड़े लोगों ने महाकुंभ में स्नान किया तो पूरे देश में रविदास जयंती की धूम देखी गई। इसी रविदास जयंती के कार्यक्रम में मुलायम के न्यूनतम अफजाल की मांग शादियाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए जहां उन्होंने महाकुंभ में स्नान करने वालों को लेकर अपनी सहमति व्यक्त की। इसी कार्यक्रम में जखनिया विधानसभा जो सुरक्षित विधानसभा में शामिल होती है और यहां से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता बेदी राम भी इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए थे।
न्यूक्लीयर अफजाल रिसर्च मंच से प्रस्तुति में कहा गया है कि संगम तट पर नकर व्यक्ति का पाप बढ़ेगा। पाप डूल का मतलब होता है आगे बैकुंठ में जाने का रास्ता। ऐसे में जो भीड़ देखने को मिल रही है उससे लगता है कि अब नर्क में कोई बचेगा ही नहीं और उधर हाउसफुल हो जाएगा। इस दौरान उन्होंने ट्रेनो से यात्रा करने वालों की भारी भीड़ पर प्रदर्शन करते हुए कहा कि स्कोडा का हाल यह है कि लोग शीशे और अंदर और कांप रहे हैं। बच्चों को गोद में छुपा कर रो रही हैं बिलख रही हैं। चश्मा तोड़ने वाले और रेलवे स्टेशन पर क्रिसमस मनाने वाले लोग हमारे और आपके घर के बच्चों के लिए टिकटें तोड़ रहे हैं पुलिस वाले भी परेशान हैं और टीटी अपना काला कोट उतार कर झोले में रख दिया है। की कहीं भीड़ हमारी भी सलाह ना कर दे। मैंने अपनी आंख से देखा कि जो स्टार्स में शामिल होने वाले हैं उनकी उम्र 15 से 20 साल है। इतनी भीड़ हो गई कि इन लोगों को इतना अनुमान नहीं लग पाया। भगदड़ में न जाने कितने लोगों की मौत हुई लेकिन सही गिनती आज तक पता नहीं चल पाई। वापसी के जो लोग आ रहे हैं वह मौत का मंजर का बखान कर रहे हैं।