चैत्र पुर्णिमा को हनुमान जयंती के रूप में मनाया गया

चैत्र पुर्णिमा को हनुमान जयंती के रूप में मनाया गया

जमानिया। ढढ़नी (पूरा-पूर) स्थित महावीर मंदिर के प्रांगण में रामचरितमानस पाक्षिक सत्संग समिति के तत्वावधान में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए चैत्र पुर्णिमा को हनुमान जयंती के रूप में मनाया गया। उपस्थित भक्तों को हनुमान जी की कथा सुनाते हुए भागवताचार्य चंद्रेश महाराज ने कहा कि भारतीय धार्मिक, सामाजिक चेतना में राम, कृष्ण और शिव के बाद यदि किसी देवता या चरित्र को सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है तो वह हैं महावीर हनुमान जी।

ज्ञान, वैराग्य और बल के धाम हनुमान जी की अनेक लीलाओं का उल्लेख वेद, पुराण और लोकमानस में दृष्टिगोचर होता है। सलाहकार के रूप में उनकी उत्कृष्टता का प्रमाण सुग्रीव एवं विभीषण को हनुमान जी के द्वारा दिये गये सलाह के फलस्वरूप भगवान की भक्ति के साथ-साथ क्रमशः किष्किंधा एवं लंका का राज्य मिलना है। सेवा धर्म की अनेक गाथाएं तो हैं ही उनकी, राम, लक्ष्मण, भरत और मां सीता के प्राणों की रक्षा का श्रेय भी अनेक बार हनुमान जी को ही मिलता है परन्तु हनुमान जी विनम्रता के साथ इसका श्रेय भी रामजी को ही दे देते हैं। आज की परिस्थितियों में जब कि चहुंओर अराजकता, भ्रष्टाचार, व्यभिचार और बेईमानी का बोलबाला है, हनुमान जी के जीवन से भारत के लोगों विशेषकर नौजवानों को प्रेरणा लेनी चाहिए और राक्षसी प्रवृत्ति का उन्मूलन करने के लिए अपने चरित्र में हनुमान जी के आदर्श को जीवंत बनाना चाहिए।