अल्लाह की रहमत और बरकत का महीना है। माह ए रमजान

अल्लाह की रहमत और बरकत का महीना है। माह ए रमजान

गाजीपुर के ज़मानिया से माह-ए-रमजान अल्लाह की मेहरबानियां पाने का महीना माना गया है। इस माह में हर मुसलमान को रोजा रखना होता है। साथ ही रोजे से जुड़े कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है। तभी उनकी इबादत कुबूल होती है। महीना रमजान बेहद पाक माना गया है। अल्लाह की रहमत और बरकत का महीना माना जाता है। इसकी जानकारी सलीम मंसूरी दी। कहा की चंद दिखने के साथ रमजान के महीने की शुरुआत होती है। और चांद दिखने के साथ ही इसका समापन होता है। रमजान समापन के बाद ईद मनाई जाती है। रमजान के दौरान व्यक्ति अपनी आदतों, विचारों और मन को शुद्ध करता है। और अल्लाह से अपने रिश्तों को मजबूत करने के लिए अधिक से अधिक नेक काम करता है। रमजान के महीने में रोजा रखना हर मुसलमान का फर्ज बताया गया है। रोजे के नियम काफी कठिन होते हैं। इसमें सूर्योदय के बाद से सूर्यास्त तक कुछ भी खाने और पीने की मनाही होती है। ग​र्मियों के दिनों में रोजा रखकर मुसलमान अल्लाह के प्रति अपने प्रेम और समर्पण को जाहिर करता है। उन्होंने बताया की रोजे की शुरुआत दूसरी हिजरी में हुई थी। कहा जाता है कि खुद मोहम्मद साहब मक्के से हिजरत कर मदीना पहुंचे। उसके एक साल बाद मुसलमानों को रोजा रखने का हुक्म आया। कुरान की दूसरी आयत सूरह अल बकरा में रोजा को लेकर लिखा है। कि ‘रोजा तुम पर उसी तरह से फर्ज किया जाता है। जैसे तुमसे पहले की उम्मत पर फर्ज था। इस तरह रोजा हर बालिग मुसलमान के लिए जरूरी बताया गया है। हालांकि बीमार लोगों, प्रेगनेंट महिलाओं और जो किसी यात्रा पर हैं, उनके लिए रोजा न रखने की छूट दी गई है। रोजे के दौरान सिर्फ खाने पीने को लेकर ही नियम नहीं बनाए गए हैं। बल्कि रमजान के इस पूरे महीने में तमाम आदतों पर भी नियं​त्रण रखने की बात कही गई है। रोजे के दौरान व्यक्ति को अपने पूरे जिस्म और नब्जों पर को भी कंट्रोल रखना पड़ता है। इस दौरान आपको किसी से ऐसा कुछ नहीं बोलना है। जिससे उसका दिल दुखी हो. न हाथों से किसी को नुकसान पहुंचाना है। न आंखों के सामने कोई गलत काम होते देखना है। रोजे के दौरान व्यक्ति पर संबन्ध बनाने के लिए भी पाबंदी लगाई गई है। मंसूरी ने बताया की माह ए रमजान के दौरान हैसियतमंद मुसलमान के लिए जकात जरूरी बताया गया है। जकात के तहत मुसलमान को अपनी सालाना कमाई का 2.5 फीसदी हिस्सा दान करना पड़ता है। बताया जाता है कि जकात के बिना अल्लाह की इबादत कुबूल नहीं होती है। रमजान के महीने को अल्लाह की रहमतों का महीना माना गया है। ये महीना अल्लाह से करीब रिश्ता बनाने का है। माना जाता है कि इस माह में अल्लाह जन्नत के दरवाजे खोल देता है। रमजान के महीने में ही अल्लाह ने कुरान नाजिल की, जिसमें जीवन जीने के तरीकों के बारे में बताया गया है। कहा जाता है कि रमजान में अगर नियमपूर्वक रोजे रखे जाएं और अल्लाह की इबादत की जाए। तो इसका कई गुणा पुण्य प्राप्त होता है और पिछले गुनाह माफ कर दिए जाते हैं.