गाजीपुर। परिवार नियोजन की सेवाओं को मजबूती प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई (यूपीटीएसयू) के सहयोग से नई पहल ‘खोइछा प्रथा’ की शुरुआत की है। उत्तर प्रदेश के 7 जनपद जिसमें बहराइच,चंदौली, मिर्जापुर,गाजीपुर, बलरामपुर ,श्रावस्ती और वाराणसी में शुरू किया गया है। इन सभी जनपदों में पायलट प्रोजेक्ट केेे रूप में 1-1 ब्लॉक को चुना गया है। जिसके तहत जनपद गाजीपुर के बाराचावर ब्लॉक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शुक्रवार को लखनऊ से आए यूपीटीएसयू के राज्य परिवार नियोजन विशेषज्ञ डॉ संतोष सिंह एवं अधीक्षक डॉ एनके सिंह केेे द्वारा किया गया।
यूपीटीएसयू के परिवार नियोजन विशेषज्ञ तबरेज अंसारी ने बताया कि खुशहाल परिवार और जच्चा-बच्चा को स्वस्थ रखने के लिए खोइछा प्रथा की शुरुआत जनपद के बाराचवर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक कार्नर बनाकर की गयी है।इस कार्नर में खुशहाल परिवार से संबंधित बैनर पोस्टर,लीफलेट,परिवार नियोजन के संसाधन उपलब्ध है। जिसमें स्वास्थ्य केंद्र पर आई हुई गर्भवती महिला के प्रसव के पश्चात डिस्चार्ज होने होने से पूर्व उन्हें चेयर पर बैठा कर स्टाफ नर्स और काउंसलर के द्वारा उनके आंचल में टीकाकरण कार्ड, परिवार नियोजन के साधन दिए जाते हैं।इस प्रथा के माध्यम से परिवार नियोजन के प्रति जागरूक करने के साथ ही महिलाओं को इसके लिए प्रेरित भी किया जायेगा।
एसीएमओ डॉ केके वर्मा ने बताया कि खोइछा प्रथा भारतीय परंपरा के अनुसार बहुत पुरानी प्रथा है। जो आज भी गाँव व घरों में प्रचलित है। विवाह के बाद लड़की को एक घर से दूसरे घर जाते समय घर के बड़े-बुजुर्ग के द्वारा खोइछा प्रथा में बेटी-बहू को आँचल में जीरा, चावल, हल्दी और रुपये डाल कर विदा किया जाता है। उसी भारतीय परंपरा को जोड़ते हुए यूपीटीएसयू के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल से घर जाते समय प्रसूता महिलाओं को आँचल में परिवार नियोजन के साधनों व जागरुकता से संबंधित पंपलेट डालकर खोइछा प्रथा के रस्म की शुरुआत की गई है।जिसका उददेश स्वस्थ महिला से स्वस्थ बच्चा और एक स्वस्थ परिवार की जड़े मजबूत करना है । अब तक प्रसव के बाद घर जाने वाली लगभग 3 प्रसूताओं को स्टाफ नर्स ने सम्मान के साथ खोइछा प्रथा रस्म निभाई ।
उन्होंने बताया कि खोइछा प्रथा के जरिये महिलाओं को परिवार नियोजन के प्रति जागरूक करना उन्हें इसका महत्त्व समझाना है। खुशहाल परिवार के लिए दो बच्चों के बीच कम से कम तीन साल का अंतर, दो बच्चों के बाद महिला व पुरुष का नसबंदी जैसे साधनों का प्रयोग कर सकते हैं । जीवन काल में गर्भावस्था, प्रसव के समय व प्रसव के पश्चात स्वयं को स्वस्थ रखना महत्त्वपूर्ण समय होता है। इस दौरान प्रसूता की देखभाल के साथ ही पौष्टिक आहार पर भी ध्यान देने की जरूरत होती है। उन्होने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा शुरु की गयी इस पहल के जरिये महिलाओं को परिवार नियोजन के स्थायी व अस्थाई साधनों की जानकारी दी जाएगी ।