ग़ाज़ीपुर। राष्ट्रीय पोषण माह में बच्चों, किशोर-किशोरियों, गर्भवती व धात्री महिलाओं को सुपोषित करने के लिए कई कार्यक्रम व गतिविधियाँ की जा रही हैं। इसके साथ ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा किचन गार्डन के लिए भी आमजन को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोहम्मदाबाद के चिकित्सा अधीक्षक डॉ आशीष राय ने बच्चों और महिलाओं के पौष्टिक आहार के बारे में विस्तार से बताया। उन्होने बताया कि पोषण संबंधी सलाह को अमल में लाकर परिवार को सुपोषित व स्वस्थ रखा जा सकता है। बच्चों और महिलाओं के भोजन में प्रोटीन (विभिन्न प्रकार की दाल, सोयाबीन, साबुत अनाज, फलियां) की उचित मात्रा होनी चाहिए। विटामिन सी युक्त मौसमी सब्जियां व फल जैसे नीबू, आंवला, संतरा, मौसमी, अंगूर, पपीता अदि खाने चाहिए। हरी सब्जियों में पालक, बथुआ, चौलाई, सोया, मेथी, सहजन व उसकी पत्ती के अलावा अदरक, तुलसी, लहसुन, प्याज, लौकी, तरोई आदि के माध्यम से सूक्ष्म पोषक तत्व शरीर को मिलते हैं जिससे रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। इसके साथ ही खून की कमी को भी दूर करते हैं। पके हुए कद्दू और पीले फल व सब्जियों में विटामिन ए भरपूर मात्र में होता है जो पाचनतंत्र और आंखों की रोशनी के लिए बहुत ही लाभदायक हैं। इसके अलावा भोजन में दूध व दूध से बने पदार्थ भी शामिल करें।
सीडीपीओ मोहम्मदाबाद सायरा परवीन ने पोषण माह में किचन गार्डन के संबंध में विस्तृत रूप से जानकारी देते हुए बताया कि घर के गीले कचरे का उपयोग कर किचन गार्डन को पोषण दें, एक माह में घर में ही खाद्य तैयार कर सकते हैं, घर के कचरे का करें सही इस्तेमाल करें, सूखे और गीले कचरे को अलग-अलग एकत्रित करें। बचा हुआ भोजन एक कंटेनर में जमा कर किचन गार्डन के लिए खाद्य बनाएँ।
बायोडिग्रेडेबल कचरे जैसे – सब्जी और फल के छिलके, बचा हुआ भोजन एक कंटेनर में जमा कर लें और सूखे कार्बनिक पदार्थ जैसे सूखी पत्तियां, लकड़ी का बुरादा, भूसा आदि एक छोटे कंटेनर में जमा कर लें। एक बड़ा मिट्टी का गमला या बाल्टी लें। इसमें चारों तरफ अलग-अलग स्तर पर हवा आने के लिए 4 से 5 छिद्र कर दें। गमले के अंदर मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब बारी-बारी से परतों में खाद्य कचरे को डालना शुरू करें I सूखे कचरे के साथ गीले कचरे को जैसे कि सब्जी और फल के छिलके बारी-बारी से डालें। कंटेनर को एक प्लास्टिक की सीट या एक लकड़ी के पटरी से ढक दें, जिससे इसमे नमी और गर्मी मिलती रहे। हवा लगाने के लिए कुछ दिन बाद एक डंडे का उपयोग कर ढक्कन को पलट दें। ढेर बहुत सूखा है तो इस पर हल्का पानी का छिड़काव करें ताकि नमी बरकरार रहे। इस तरह खाद एक महीने में तैयार हो जाती है।
सीडीपीओ ने बताया कि पोषण माह के तहत आंगनबाड़ी गांव-गांव में जाकर गर्भवती व धात्री महिलाओं से मिलकर पोषण के संबंध में जानकारी देने के साथ ही उनके घर के बाहर किचन गार्डन के बारे में बता रही हैं। कई जगह पोषक तत्वों से भरपूर हरी साग-सब्जी भी लगवायी है, उसमें जल्द ही फल आने लगेंगे। इसका उपयोग कर बच्चों, किशोर-किशोरियों, गर्भवती व धात्री महिलाएं को सुपोषित किया जाएगा।