गाजीपुर। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के 13 जनपदों यथा बलिया, कुशीनगर, देवरिया, गाज़ीपुर, सुल्तानपुर, वाराणसी, गोरखपुर, संत रविदास नगर (भदोही), महाराजगंज, गोंडा, बहराइच, जौनपुर और लखीमपुर खीरी में कालाजार उन्मूलन हेतु सघन अभियान के अंतर्गत कीटनाशक दवा का छिड़काव (इंडोर रेसीडूअल स्प्रेइंग- (आईआरएस) शुरू कर दिया है।
उपरोक्त जनपदों में पूर्वी उत्तर प्रदेश के 6 जनपद बलिया, कुशीनगर, देवरिया, गाज़ीपुर, सुल्तानपुर और वाराणसी कालाजार एंडेमिक हैं। प्रदेश के अपर निदेशक, मलेरिया और वेक्टर बोर्न डिजीजीज तथा कालाजार के राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. वी. पी. सिंह ने बताया कि कालाजार एक वेक्टर जनित रोग है जो कि बालू मक्खी के माध्यम से फैलता है। यह बालू मक्खी कालाजार रोग के परजीवी लीशमेनिया डोनोवानी को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलाती है।
बालू मक्खी कम रोशनी वाली और नम जगहों – जैसेकि मिट्टी की दीवारों की दरारों, चूहे के बिलों, जानवर बंधने के स्थान तथा नम मिट्टी में रहती है। कालाजार एंडेमिक जनपदों में यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से ज्यादा से बुखार हो और वह मलेरिया या अन्य उपचार से ठीक न हो तो उसे कालाजार हो सकता है। कालाजार उत्पन्न करने वाले परजीवी के संक्रमण से रोगी के शरीर के रोगों से लड़ने की क्षमता घट जाती है जिसके कारण उसे दूसरे रोगों से संक्रमित होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
उन्होंने यह भी बताया कि कालाजार उन्मूलन की वर्तमान रणनीति के मुख्य रूप से दो स्तम्भ हैं; a) शीघ्र निदान और उपचार b) कीटनाशक दवा का छिड़काव यानि (आई.आर.एस) | आई.आर.एस. एक ऐसी विधि है। जिसके द्वारा घर के अन्दर की दीवारों और घर में जानवरों के लिए बनाए गए आश्रय स्थलों पर दवा का छिड़काव किया जाता है ताकि, कालाजार बीमारी का कारण बनने वाली बालू मक्खी से बचाव किया जा सके। कीटनाशक का छिड़काव बालू मक्खी की संख्या को कम करता है। कीटनाशक का छिड़काव यदि सभी हिस्सों में नहीं किया गया हो तो बालू मक्खी बिना छिड़काव वाले सतह पर रह जायेगी और उसे कोई नुकसान नहीं होगा।आई.आर.एस. की प्रक्रिया साल में दो चरणों मानसून से पहले यानि मार्च से मई के बीच में और दूसरा चरण अगस्त से सितम्बर के बीच में संपन्न किया जाता है।
आईआरएस द्वारा वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम की प्रक्रिया, कालाजार के उन्मूलन की रणनीति में अहम् भूमिका निभाती है; इसीलिए प्रदेश सरकार के लिए कीटनाशक दवा का छिड़काव नियत योजना के अनुसार बिना किसी अवरोध के निरंतर संपन्न किया जाना प्राथमिकता है। वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश में कालाजार के लगभग 120 केस थे जो, इस समय 26 रह गए हैं।
डॉ सिंह ने बताया कि कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के बावजूद भी सरकार ने प्रदेश के कालाजार एंडेमिक 6 जनपदों में 18 मई, 2020 से आई.आर.एस. अभियान शुरू किया था तत्पश्चात, 7 सितम्बर, 2020 से प्रदेश के 13 जनपदों में कालाजार रोग के उन्मूलन हेतु कीटनाशक दवा का छिड़काव शुरू किया था। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए, प्रदेश सरकार द्वारा 13 जनपदों में कीटनाशक दवा का छिड़काव (इंडोर रेसीडूअल स्प्रेइंग- (आईआरएस) आज से शुरू कर दिया है। डॉ. सिंह ने कहा कि भारत सरकार के दिशा-निर्देशों और उत्तर प्रदेश सरकार की रणनीति के तहत आशा प्रतिदिन 50 से 100 घरों का भ्रमण करती है और यह पता लगाती है कि किसी को 15 दिनों से ज्यादा बुखार तो नहीं आ रहा है क्योंकि अगर ऐसा है तो उस व्यक्ति को कालाजार होने की संभावना हो सकती है।कालाजार से संक्रमित व्यक्ति की नि:शुल्क जाँच एंडेमिक जनपदों के ब्लाक स्तरीय स्वास्थ्य केन्द्रों (सीएचसी) पर और जिला अस्पतालों में नि:शुल्क इलाज किया जाता है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अब सिर्फ एक इंजेक्शन लगवाने से कालाजार का मरीज़ पूरी तरह ठीक हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि, प्रदेश सरकार द्वारा चलाये गए संचारी रोग नियंत्रण अभियान /दस्तक अभियान में फाइलेरिया और कालाजार जैसी संक्रामक बीमारियों की रोकथाम को भी शामिल किया गया है। इसके परिणामस्वरुप प्रदेश में वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त होगी।
उन्होंने, प्रदेश से कालाजार के समूल उन्मूलन में सामुदायिक सहभागिता की अत्यंत आवश्यकता बतायी। डॉ. सिंह ने कहा कि प्रदेश के हर नागरिक को इस बीमारी की गंभीरता को समझते हुए अपने आस-पास स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए और अगर स्वयं या किसी में कालाजार संक्रमित होने के लक्षणों का आभास हो तो तुरंत अपने नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र और स्वास्थ्य प्रदाताओं से संपर्क स्थापित करना चाहिए।