गाजीपुर। जिला अस्पताल में गरीब और असहाय लोगों की मौत के बाद उनके शव को उनके घरों तक शव वाहन से पहचाने के साथ ही लावारिस शव को मर्चरी हाउस से पोस्टमार्टम हाउस और उसके पश्चात शमशान घाट तक पहुंच कर उसका अंतिम संस्कार कराया जाता था। लेकिन पिछले दिनों इसके बजट की कमी के कारण शव वाहन को कई दिनों तक खड़ा कर दिया गया था। जिसके कारण लावारिस शव को निजी संसाधन से श्मशान घाट तक लाकर उसका अंतिम संस्कार किया जा रहा था। लेकिन अब एक बार फिर मुख्य चिकित्सा अधिकारी के प्रयास से शव वाहन चलाने के लिए बजट विभाग को प्राप्त हो गया है। इसके बाद शव वाहन पर लगा ब्रेक अब हट जाएगा और लावारिश शव का अंतिम संस्कार निर्वाध गति से चलता रहेगा।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी सुनील कुमार पांडेय ने बताया कि शव वाहन चलाने के लिए शासन से ₹60000 का बजट मिलता है। और उसके खत्म हो जाने के बाद दोबारा डिमांड करने पर पैसा प्राप्त होता है। जब उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी का पद संभाला उसके कुछ ही दिनों बाद शव वाहन के बजट में कमी आ गई थी। इसके बाद उन्होंने विभाग के प्रशासनिक अधिकारी और अकाउंटेंट से इस संबंध में नोटिस देकर स्पष्टीकरण मांगा था। इसके बाद पता चला कि शव वाहन चलाने के लिए शासन के तरफ से ₹60000 मिलता है और ड्राइवर के वेतन के लिए प्रतिमाह ₹10000 और 10 से 15 हजार रूपए शव वाहन के मेंटेनेंस के लिए आता है। ऐसे में डीजल के मद में आए हुए 60000 रुपया खत्म हो गया था। जिसके चलते शव वाहन को ब्रेक लगा दिया गया था और अगला बजट के लिए विभाग को पत्र भेजा गया था और शासन ने इसे संज्ञान लेते हुए ₹60000 के अगला बजट भेज दिया है।
उन्होंने यह भी बताया कि इस बार अप्रैल से नवंबर के महीने में ही ₹60000 का बजट जो विभाग से मिला था वह खत्म हो गया और इसलिए विभाग ने इसके मद में दोबारा बजट भेजा है। जबकि पिछले साल मात्र ₹24000 का बजट ही खर्च हो पाया था शेष बजट विभाग को वापस करना पड़ा था।