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जमानियां। सर्पदंश से होने वाली मौतों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत स्वास्थ्य कर्मियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित किया। शनिवार को रेवतीपुर सीएचसी के सभागार में हुई इस कार्यशाला में आशा, सीएचओ सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया। लखनऊ से आई दो सदस्यीय राज्य स्तरीय टीम ने यह प्रशिक्षण दिया, जिसका शुभारंभ मुख्य अतिथि मास्टर ट्रेनर डॉ. कैलाश यादव ने किया।
प्रशिक्षण के दौरान डॉ. कैलाश यादव ने सर्पदंश के लक्षण, बचाव और उपचार की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सांप काटने के बाद पीड़ित को दर्द, सूजन, फफोले, खून बहना, त्वचा का रंग बदलना, पसीना आना, सिर दर्द, आंखों में धुंधलापन और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि यदि पीड़ित को 100 मिनट के भीतर उचित उपचार मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है। डॉ. यादव ने बताया कि सर्पदंश से मृत्यु दर कम करने के लिए एंटीवेनम तक पहुंच में सुधार आवश्यक है, जो कि WHO की रणनीति का एक महत्वपूर्ण घटक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि एंटीवेनम ही ऐसा एकमात्र उपचार है जो सांप के जहर के प्रभाव को रोक सकता है। उन्होंने बताया कि शासन के निर्देश पर पायलट प्रोजेक्ट के तहत गाजीपुर, बाराबंकी और सोनभद्र में यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यदि इस प्रशिक्षण से सर्पदंश से होने वाली मौतों में कमी आती है, तो इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। उन्होंने खुलासा किया कि गाजीपुर जिले में पिछले एक साल में 61 लोगों की सर्पदंश से मौत हुई है, जो चिंता का विषय है। इस अवसर पर डॉ. आशीष सोनकर, जिला आपदा विशेषज्ञ अशोक राय, डॉ. शहनवाज, डॉ. जितेंद्र, डॉ. मनीष, सुनील कुशवाहा, आशुतोष सिंह, प्रिया राय, मेघा शर्मा, अनीता, स्माइल, कविता सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित रहे।