जमानिया। कृषि विभाग के तत्वावधान में सोमवार को तहसील क्षेत्र के बरूईन गांव में फसल अवशेष प्रबंधन एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें किसानों को फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसानों के बारे में बताया गया। इस दौरान किसानों को गांवों में पराली न जलाने की शपथ भी दिलाई गई।
कृषि विभाग के उप कृषि निदेशक अतींद्र सिंह सहित कृषि विभाग के अधिकारियों ने पराली प्रबंध के संबंध में विचार रखे। कहा कि फसलों के अवशेष जलाने से किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। ऐसे में किसान फसलों के अवशेष प्रबंधन को अपनाते हुए उन्हें मिट्टी में मिला देना चाहिए। तकनीकी सहायक नीरज तिवारी ने किसानों को मशीनों द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन के लिए प्रयोग की जाने वाली कृषि यंत्रों व मशीनरियों जैसे की हैप्पीसीडर, जीरो ड्रील मशीन, मल्चर, एसएमएस कंबाइन, प्लाउ हल के प्रयोग व रखरखाव के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि धान के अवशेषों का दो तरह से यथास्थन प्रबंधन कर सकते है। एक तरीका सुपर एसएमएस कंबाईन से कटाई के बाद रूटावेटर या प्लाउ हल से उसे मिट्टी में मिलाया जा सकता है। दूसरा तरीका यह है कि अवशेष को जमीन के ऊपर रखकर हैप्पी सीडर से सीधी बिजाई कर सकते है। कहा कि कृषि यंत्रों के माध्यम से फसल अवशेष प्रबंधन कराएं। इस दौरान अपशिष्ट अपघटक का भी वितरण किया गया। कार्यक्रम के आखिर में किसानों को गांवों में पराली न जलाने की शपथ भी दिलाई गई। इस अवसर पर विनय सिंह‚ अमित सिंह‚ सुभाष सिंह‚ प्रवीण सिंह‚ राजीव सिंह‚ अशोक सिंह‚ जसवंत सिंह‚ राणा प्रताप सिंह‚ शैलेंद्र कुमार तिवारी‚ अभिषेक‚ बंटी सिंह आदि किसान मौजूद रहे।