आजादी के बाद भी चकरोड़ पर चलने को मजबूर है ग्रामीण

आजादी के बाद भी चकरोड़ पर चलने को मजबूर है ग्रामीण

गहमर(गाजीपुर)। सेवराई तहसील क्षेत्र के बसूका ग्राम पंचायत अन्तर्गत नटवा के बारी में आज भी कोई आवागमन के लिए प्रमुख मार्ग न होने के कारण लोगो को काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है। आजादी के बाद से नही बनी सड़क ताड़ीघाट बारा मुख्य मार्ग से नटवा के बारी जाने के लिए है महज चकरोड का सहारा। लोगो ने पलायन करने का बनाया मन।

सेवराई तहसील क्षेत्र एवं मोहम्दाबाद विधान सभा अन्तर्गत बसूका गांव के नटवा बारी बस्ती आज भी अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। यहाँ 50 घरो में निवास करने वाली 1000 की आबादी वंजारो की तरह गुजर बसर कर रही है। सरकारी योजनाएं और विकास यहाँ तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते है। अगर कोई पहुंचता है तो वह सिर्फ जनप्रतिनिधि लेकिन वह भी केवल चुनाव से पूर्व उसके बाद तो वह जनप्रतिनिधि गधे की सींग की तरह गायब हो जाते हैं। यहाँ निवास करने वाले लोगो के लिए स्वास्थ्य सुविधा तो दूर एक रास्ता तक नही है जिससे यहाँ के लोग सुगमता से आवागमन कर सके। यहाँ लाइट के लिए बिजली के पोल लगाए गए और बच्चों के पढ़ने के लिए एक प्राथमिक विद्यालय बनाया गया है। यह बस्ती ताड़ीघाट बारा मुख्य मार्ग से उत्तर और गांव से दक्षिणी तरफ डेढ़ किमी दूर होने से लोगो को आज भी मजबूरीवश इन्ही कच्चे मार्ग से होकर आवागमन करना पड़ता हैं। जो बरसात के दिनों में स्थिति और भी बद से बदत्तर हो जाती है। सबसे अधिक समस्या प्रसव पीड़ित महिलाओं, बुजुर्गों और उच्च शिक्षा के लिए जाने वाले छात्र छात्राओं को होती है। एक मात्र कच्चा मार्ग होने के कारण लोग आज भी 19 वीं सदी में जीने को विवश हो रहे हैं। लोगो ने क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों एवं उच्चाधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराते हुए जल्द से जल्द सड़क के निर्माण की मांग की है। चेताया कि अगर सड़क नही बनी तो हम सभी ग्रामीण प्रदर्शन को बाध्य होंगे। माया देवी  ने बताया कि सड़क न होने से लोगो को कीचङ युक्त रास्ते से आने जाने को विवश होना पड़ता है। प्रसव पीड़ित महिलाओं को जान पर बन जाती है। राजेश राजभर ने बताया कि हमे वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल तो किया जाता हैं। लेकिन सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए हमे तिरस्कृत कर दिया जाता है। सड़क के अभाव में हमे आज भी मिट्टी और कीचड़ युक्त रास्ते से ही जाना होता है। वाहन चालकों को काफी जद्दोजहद करनी पड़ती हैं। शंकर कुमार राजभर ने बताया कि गांव को जोड़ने के लिए एक कच्ची सड़क है। पूरे बस्ती में जल निकासी के लिए नाली, सड़क, लाइट्स आदि नही होने से हमे परेशानियों से जूझना पड़ता है। स्वास्थ्य सुविधाएं भी नदारद है। दीपक कुमार ने बताया कि यहाँ की यहाँ के लोग मेहनत मजदूरी करके अपना जीविकोपार्जन करते हैं। आजादी के बाद से गांव में कोई विकास कार्य नही हुआ है। आज भी हम 19 वीं शदी में जीने को विवश हैं। सड़क नही होने से हम जन सामान्य से कट से गए हैं। अब यहा से पलायन ही एक मात्र विकल्प है।