
जमानिया। स्टेशन बाजार स्थित प्रतिष्ठित हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय में सोमवार को आयोजित चयन समिति की महत्वपूर्ण बैठक में चार सहायक आचार्यों की स्टेज-1 से स्टेज-2 में प्रोन्नति हेतु सर्वसम्मति से संस्तुति प्रदान की गई। यह निर्णय महाविद्यालय के शैक्षणिक वातावरण को और अधिक सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
प्रोन्नति प्राप्त करने वाले सहायक आचार्यों में भूगोल विभाग से डॉ. राम लखन यादव, इतिहास विभाग से डॉ. सुनील कुमार चौधरी, हिंदी विभाग से डॉ. लालचंद पाल तथा राजनीति विज्ञान विभाग से डॉ. अखिलेश कुमार जायसवाल शामिल हैं। चयन समिति तथा विषय विशेषज्ञों ने इन सभी शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता, सेवा अनुभव, शोध प्रकाशनों, अकादमिक सहभागिता तथा छात्रहित में किए गए योगदान का गहन मूल्यांकन किया। बैठक की अध्यक्षता महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री राम प्रिय राय ने की। इस अवसर पर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गाजीपुर की प्राचार्या एवं गवर्नमेंट नॉमिनी प्रो. अनीता कुमारी, प्रो. श्रीनिवास सिंह, प्रबंधक लछिराम सिंह यादव, आईक्यूएसी प्रभारी प्रो. अरुण कुमार सहित कई वरिष्ठ शिक्षक उपस्थित रहे। चयन प्रक्रिया के दौरान सभी आवश्यक दस्तावेजों की सूक्ष्मता से जांच की गई और सभी चार सहायक आचार्यों को स्टेज-2 में प्रोन्नति हेतु पूर्णतः योग्य पाया गया। विषय विशेषज्ञ समिति में प्रो. विनय कुमार दूबे (गाजीपुर), प्रो. दयानिधि यादव (सकलडीहा पीजी कॉलेज), प्रो. राकेश कुमार यादव (गांधी स्मारक स्नातकोत्तर महाविद्यालय, समोधपुर, जौनपुर), प्रो. अरुण कुमार सिंह (आजमगढ़) तथा प्रो. आर.आर. सिंह (यू.पी. कॉलेज, वाराणसी) ने शिक्षकों के कार्यों और योग्यताओं का मूल्यांकन किया। इस अवसर पर महाविद्यालय परिवार के अनेक सदस्य उपस्थित रहे, जिनमें प्रो. अखिलेश कुमार शर्मा, डॉ. संजय कुमार सिंह, डॉ. अरुण कुमार सिंह, डॉ. नीतू सिंह, डॉ. धर्मेंद्र यादव, डॉ. महेंद्र कुमार, सत्यप्रकाश सिंह, अमित कुमार सिंह, प्रदीप कुमार सिंह, मनोज कुमार सिंह, सूरज जायसवाल, इंद्रभान सिंह, रवि उद्यान, पैंगूला परासर, पप्पू कुमार तथा वीरेंद्र कुमार प्रमुख रहे। प्राचार्य प्रो. श्रीनिवास सिंह ने चयन समिति एवं विषय विशेषज्ञों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह उपलब्धि महाविद्यालय की शिक्षण गुणवत्ता और प्राध्यापकों की प्रतिभा का सम्मान है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि प्रोन्नत आचार्यगण भविष्य में और अधिक उत्साह से शिक्षण, शोध एवं अकादमिक दायित्वों का निर्वहन करेंगे।