जाने बिनु न होई परतीति, बिनु प्रतीति होइ नही प्रीति- अर्जुनानंद जी महाराज

जाने बिनु न होई परतीति, बिनु प्रतीति होइ नही प्रीति- अर्जुनानंद जी महाराज

जमानिया। तहसील क्षेत्र के बरूइन गांव में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय हरी कथा में रविवार की देर शाम आशुतोष महाराज के शिष्य स्वामी अर्जुनानंद जी ने प्रभु महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि इस ब्रह्मांड के कण-कण में ईश्वरीय शक्ति कार्य कर रही है। आज हम ईश्वर को मानते है अपितु जानते नहीं है।

गोस्वामी जी कहते है, जाने बिनु न होई परतीति, बिनु प्रतीति होइ नही प्रीति। प्रीति बिना न भक्ति दृढ़ाई, जिमि खग पति जल के चिकनाही।। अर्थात ईश्वर को जाने बिना हमारे भीतर विश्वास नही आ सकता है, और विश्वास के बिना प्रेम प्रकट नही हो सकता है। प्रेम व विश्वास के बगैर भक्ति दृढ़ नही हो सकती है। ईश्वर को पूर्ण गुरु की कृपा से देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसी मानव शरीर मे ब्रह्मज्ञान के द्वारा ईश्वर का प्रकाश स्वरूप का दर्शन किया जा सकता है। यदि हमको आध्यात्मिक शक्तियों से जुड़ना है, जीवन मे  एक पूर्ण गुरु की आवश्यकता होती है। पूर्ण गुरु ही है जो इसी मानव घट में ही दिव्य दृष्टि खोलकर परम प्रकाश रूप का दर्शन करवाते है। कार्यक्रम का शुभारंभ मंत्र ध्वनि व प्रार्थना से किया गया व समापन मंगल आरती से किया गया। मंच से भाववान के सुमधुर भजन का गायन स्वामी श्री ब्रह्महेशानंद जी भाई शास्वत जी व हिमान्शु  जी ने किया। मुख्य आयोजक महेन्द्र सिंह, विपिन सिंह, प्यारेलाल ने  दीप प्रज्ज्वल किया। उक्त मौके पर मनोज पाण्डेय, केशरी सिंह, श्रीराम सिंह, अजय सिंह, मयूर सिंह, रिंटू सिंह, सोनू, प्रिंस आदि लोग मौजूद रहे।