छठ महापर्व पर व्रती महिलाओं ने छठ घाट पर पूजन अर्चन की

छठ महापर्व पर व्रती महिलाओं ने छठ घाट पर पूजन अर्चन की

गाजीपुर के जमानियां छठ घाटों पर उपजिलाधिकारी, तहसीलदार तथा पालिका चेयरमैन जय प्रकाश गुप्ता नौका विहार कर सुरक्षा की पुख्ता इंतजाम का जायजा लिया। बता दें कि नगर कस्बा के पक्का घाट, कपुरा घाट, सतुआनी घाट, मुनान घाट, हरपुर गंगा घाट, बड़ेसर घाट, चक्का बांध घाट के साथ आस पास के गंगा घाटों पर आस्था का महापर्व छठ सम्पन्न हुई। सैकड़ो की संख्या में व्रती महिलाए विशेष स्थान पर पूजा सामग्री के साथ उगले सूरज व डूबते सूर्य को अर्घ्य दी। बताया जाता है। की नगर पालिका परिषद के चेयरमैन जय प्रकाश गुप्ता के द्वारा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी पक्का घाट चबूतरे पर व्रती महिलाओं के रुकने के लिए टेंट रौशनी की व्यव्स्था कराया। लोक आस्था के पर्व पर छठ व्रती उगते और डूबते डुए सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी आराधना करती हैं. यह त्योहार सूर्य षष्ठी व्रत भी कहलाता है इस कारण इसके छठ भी कहा जाता है. इस व्रत को साल में दो बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में में मनाया जाता है. बता दें कि कार्तिक मास में किए जाने वाले छठ की अधिक मान्यता है। बता दें कि छठ व्रती किसी नदी, तलाब या पोखरा के पास जाकर स्नान करती हैं। और इसके बाद दिन भर में केवल एक बार ही सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं। छठ के दूसरे दिन यानी पंचमी को खरना कहा जाता है। इस दिन छठ व्रती दिनभर निर्जला उपवास रखती है और शाम में को अरवा चावल की बनी खीर और रोटी छठी मईया को अर्पण करके बाद में उनका प्रसाद ग्रहण करती है। इसके साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। इस अवसर पर एसडीएम डा, हर्षिता तिवारी, तहसीलदार देवेंद्र कुमार यादव नौका विहार के माध्यम से डाला छठ घाटों की निरीक्षण के दौरान जायजा लेते रहे। तथा व्रती महिलाओं को समुचित ढंग से व्यवस्था दिलाने व बच्चो को खेलने कूदने व मनोरंजन के लिये खिलौना उपलब्ध कराया। इस दौरान महिला पुरुष कर्मी घाटों के आस पास तैनात रहे। बताया जाता है। की लोग आस्था का महापर्व छठ रविवार से शुरू हो रहा है। छठ पर्व के लिए जहां घर की साफ-सफाई शुरू हो चुकी है। इसके लिए गेहूं, आम की लकड़ी, मिट्टी के चूल्हे की खरीदारी की जा रही है। घरों में छठ मईया का गीत महिलाएं गाने लगी है। पहले दिन व्रती महिलाएं लौकी-भात का सेवन करेंगी। बाजार में लौकी की कीमत चढ़ गयी है। पुत्र की कामना, आरोग्य, सुख के लिए श्रद्धालु महिलाएं छठ व्रत की तैयारी में जुट गई है। यह पर्व पूरी तरह से लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है। तीन दिनों तक यह व्रत चलता है पहले दिन लौकी-भात, दूसरे दिन खीर-पूड़ी के बाद महिलाएं षष्ठी को निराजल व्रत रह कर सायं अस्तांचल सूर्य को पहला अ‌र्ध्य व सप्तमी को उदयांचल सूर्य को दूसरा अ‌र्ध्य देकर भगवान भास्कर से मनोकामना पूर्ण करने की आराधना करती है। यह पवित्र पर्व है जो छठ मैय्या के नाम से जाना जाता है लेकिन पूजा होती है भगवान भास्कर की। इस पर्व का प्रचलन बिहार से शुरू हुआ जो अब पूर्वी उ.प्र.में फैल गया। लोगों का मानना है कि इस पूजा के करने उनकी मन्नतें पूरी होती हैं। डाला छठ पर्व की तैयारी में महिलाएं जुट गयी हैं। मनोकामना की पूर्ति का संकल्प लेकर महिलाएं इस व्रत को बड़े ही साफ-सफाई के साथ रखती है। पर्व के मद्देनजर बाजारों में डाला, सुपेली की दुकानें सज गयी हैं। वही फल विक्रेता भी अनेक प्रकार के फलों की दुकानें सजाने लगे हैं। पूजन हेतु घाटों पर साफ-सफाई नगर पालिका परिषद द्वारा कराई। महिलाएं पूरा दिन निर्जला व्रत रख डूबते सूर्य को अ‌र्घ्य दी। अगले दिन प्रात: उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर व्रत का पारण किया। नदी के किनारे डाला छठ पूजन हेतु बेदी बनाने का कार्य तेजी से किया जा रहा है। डाला छठ पूजन का असर बाजार में दिखना शुरू हो गया है। बढ़ती मंहगाई के बाद भी बाजार में छठ पूजन के खरीददारों की काफी भीड़भाड़ रही। कपड़ा, नारियल, बांस की बनी दउरी व सूपेली आदि की काफी बिक्री रही। इसके चलते जगह जगह जाम की समस्या बनी रही। महंगाई का आलम यह है कि बांस की बनी दउरी 60 से 70 रुपये प्रति पीस व सूपेली 30 रुपये प्रति पीस बिक रही हैं। इस सम्बन्ध में बासंफोर रामजी, नगीना आदि ने बताया कि अब बांस की कीमत बढ़ जाने से उससे बने सामानों का महंगा बेचा जाना मजबूरी है। उक्त मौके पर पालिका चेयरमैन जय प्रकाश गुप्ता के साथ कोतवाली प्रभारी महेंद्र सिंह, इंस्पेक्टर दिग्विजय नाथ तिवारी व हल्का उप निरीक्षको के साथ महिला आरक्षी चुस्त दुरुस्त होकर सुरक्षा के लिए तैनात होकर शांतिपूर्ण संपन्न कराया