ग़ाज़ीपुर। उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा प्रदेश से कुपोषण को दूर करने के लिए पोषण मिशन योजना चलाई जा रही है। इस पोषण मिशन में कुल 6 विभागों के द्वारा कुपोषण पर विजय प्राप्त करने के लिए जंग लड़ी जा रही है। इसी को लेकर गुरुवार को जिला कार्यक्रम अधिकारी अरुण कुमार दुबे की अध्यक्षता में पोषण मिशन की पाठशाला का आयोजन किया गयाजिसमें बाल विकास परियोजना से जुड़े सभी सीडीपीओ व सुपरवाइजर के साथ ही चिकित्सा अधिकारी, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी शामिल रहे।
आज की यह पाठशाला 2 सेशन में चलाकर छोटे बच्चों को ‘कब और कैसे मां के दूध के साथ ऊपरी आहार दे’ इसके बारे में बताया गया।इस पाठशाला में अध्यापक की भूमिका में जिला स्वस्थ भारत प्रेरक जितेंद्र गुप्ता रहे जिन्होंने इस कार्यक्रम में शामिल सभी लोगों को नवजात शिशु जो मां के दूध पर निर्भर होते हैं उन्हें ‘कब और कैसे’ ऊपरी आहार दें इसके बारे में विस्तृत रूप से बताया। जिला कार्यक्रम अधिकारी अरुण कुमार दुबे ने बताया कि इस कार्यक्रम में सभी को उन बच्चों के बारे में बताया गया जो 6 माह से ऊपर के हो चुके हैं और वह मां का स्तनपान करते हैं तो ऐसे बच्चों को मां के स्तनपान के साथ ही ऊपरी आहार कब और कैसे दें इस बारे में बताया गया।
• छह महीने पूरे होने के बाद बच्चे को माँ के दूध के साथ-साथ ऊपरी आहार देना बहुत जरुरी होता है, क्योंकि छह महीने के बच्चे की शारीरिक जरूरतें बढ़ जाती है, इसीलिए माँ के दूध के साथ ऊपरी आहार की शुरुआत करना अति आवश्यक है।
• बच्चे की शारीरिक हलचल बढ़ जाती है, जिसके लिए अधिक ताकत की आवश्यकता होती है, इसीलिए माँ के दूध के साथ ऊपरी आहार की जरुरत होती है।
• इस उम्र मे बच्चो का पाचन संस्थान भोजन पचाने के लिए तैयार हो जाता है।
• जो बच्चे माँ के दूध पर होते है उन्हें छह महीने तक माँ का ढूध सभी पोषक तत्व प्रदान करता है।