ग़ाज़ीपुर।आद्रता व ताप बढ़ने से आम की फसलों पर कीट का प्रभाव जगह-जगह देखा जा रहा है।कीटों के प्रभाव से आम की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा तथा कम उत्पादन होने का खतरा बढ़ गया है।
जमानियाँ क्षेत्र के पूर्वी छोर पर कर्मनाशा नदी के पास स्थित उधरनपुर डेहरिया गांव के किसान हाजी इस्लाम के बगीचे में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कीट एवं कृषि जंतु विज्ञान विभाग के भूतपूर्व शोधार्थी रमेश सिंह यादव ने निरीक्षण किया।उन्होंनें पाया कि”आम का मिली बग कीट”इतनी ज्यादा तादाद में लगा है।यह वाकया हैरान कर देने वाला था। श्री यादव ने बताया कि यह कीट कभी- कभी 50 प्रतिशत से भी अधिक नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखता है। किसान अब्दुल कादिर ने कहा कि यह कीट पिछले कई सालों से दिख रहा है पर इस साल बहुत ज्यादा है और तेजी से इधर -उधर फैल रहा है। इस बाबत श्री यादव ने बताया कि यह कीट आर्द्रता और ताप बढ़ने पर तेजी से बढ़ता है। यह टहनियों, फलवृंत, फलों, पत्तियों सब पर फैल जाता है और उनका रस चूसता है तथा “हनी डिव” छोड़ता है जो पत्तियों पर चिपचिपा सा देखा जा सकता है। उन्होंने इस कीट से बचाव का तरीका बताते हुये कहा कि पहले से सावधानी रखकर इससे बचा जा सकता है। बाग- बगीचों की सफाई रखी जाय। ग्रीष्मकाल में बागों की अच्छी जुताई करके छोड़ देना चाहिए ताकि इस कीट की मादा और अंडे चिड़ियों तथा तेज धूप से नष्ट हो जाय। दिसंबर के महीने में पेंड के तने में जमीन से एक फ़ीट की ऊंचाई पर 30 सेमी पॉलिथीन लपेटकर उसमे ग्रीस लगा दे तो इसका निम्फ मिट्टी से पेंड पर नहीं जा पायेगा और दूसरा काम करे कि पेंड के चारो तरफ 6 से 8″ ऊंचाई तक मिट्टी गोदकर पेड़ के तने पर चढ़ा दें और इसमें 250 ग्राम क्लोरपायीरिफोस धूल मिक्स कर दे । यह काम भी दिसम्बर महीने में, नही तो जनवरी में हर हालत में कर लें। अगर ऐसा भी नही कर पाए और आपको जानने समझने में देर हो गयी हो तो डाईमेथोएट 30 EC 2 मिली/लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव कर सकते हैं।