जमानियां। स्थानीय क्षेत्र सहित आस पास के जिलों में बुधवार कि सुबह से सूर्य के चारों ओर एक सतरंगी वलय देखा गया। खगोल विज्ञान में इसे ‘22 डिग्री सर्कुलर हलो’ कहते हैं। ऐसा तब होता है जब सूर्य या चंद्रमा की किरणें बादलों में मौजूद षट्कोणीय बर्फ क्रिस्टलों से अपवर्तित हो जाती हैं। इसके देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी रही और लोग इस घटना को मोबाइल में कैद करने में जुटे रहे।
बुधवार को जनपद में सुबह करीब 10 बजे से करीब 1 बजे के बीच यह घटना क्रम देखा गया। इस संबंध में हिन्दू पीजी कॉलेज के भूगोल विभाग की विभागाध्यक्ष डां मातेश्वरी प्रसाद सिह ने बताया कि यह घटना एक खागोलीय घटना है । जिसे सूर्य या कुछ मौकों पर चंद्रमा का ‘22 डिग्री सर्कुलर हलो’ कहा जाता है. उन्होंने बताया कि इस तरह के बादल सामान्य तौर पर तब बनते हैं, जब पृथ्वी की सतह से पांच से दस किलोमीटर ऊंचाई पर जल-वाष्प बर्फ के क्रिस्टलों में जम जाती है। उनके मुताबिक उनके मुताबिक, ठंडे देशों में यह आम घटना क्रम है। हालांकि, भारत जैसे देशों में यह दुर्लभ है। ये घटना कब होगी, इसका कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता। इससे पहले यह इस तहर की घटना दिखाई दी गयी है। हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. अखिलेश कुमार शर्मा शास्त्री कहते हैं कि प्रकृति हमेशा से अपने अदभुत नजारों के कारण कुतूहल का केंद्र रही है । प्रकृति के यही रूप कवियों को आकर्षित करते हैं। कवियों की दुनिया में जो चंदा मामा दूर के थे आज पास आ गए हैं। संस्कृत काल से लेकर आजतक प्रकृति के ये बदलाव साहित्य में दिख रहे हैं। इसको देखने के लिए क्षेत्र के लोग आकाश की ओर टकटकी लगये रहे। कई लोगों ने इस पल को अपने मोबाइल फोन में कैद कर लिया। लोग अपने घरों के छत सहित सडक आदि जगहों से इसे देखते नजर आये।