ग़ाज़ीपुर। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के द्वारा लगातार गर्भवती माताओं और छोटे बच्चों में कुपोषण के साथ ही किशोरियों में एनीमिया की कमी को लेकर लगातार कार्यक्रम किए जाते रहे हैं। इन्हीं कार्यक्रमों में विभाग के द्वारा मुख्य सेविकाओं और सुपरवाइजर को 21 माड्यूल का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इसी के क्रम में शनिवार को माड्यूल 19 के तहत बच्चों और किशोरियों में खून की कमी /एनीमिया की रोकथाम को लेकर प्रशिक्षण दिया गया । यह प्रशिक्षण सीडीपीओ धनेश्वर राम और जिला स्वस्थ भारत प्रेरक जितेंद्र कुमार गुप्ता के द्वारा दिया गया।
प्रशिक्षक जखनिया सीडीपीओ धनेश्वर राम ने बताया कि आज के प्रशिक्षण में जनपद के सभी ब्लॉकों से आई हुई सीडीपीओ और सुपरवाइजर को बच्चों और किशोरियों में एनीमिया के कमी के लक्षण और उसके रोकथाम के उपाय के बारे में बताया गया। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में 100 किशोर और किशोरियों में 52 किशोरियों में एनीमिया की कमी मिलती है। जिसके लिए हमें कार्य करना है।
उन्होंने बताया कि हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा में कमी के मुख्य दो कारण होते हैं । जब शरीर में खून बनना कम हो जाए और दूसरा जब शरीर किसी वजह से खून कम होने लगे। इसके लिए सभी लोगों को बताया गया है कि शरीर में खून किन चीजों से बनता है। इसके लिए हमें खाने में आयरन और कुछ प्रकार के विटामिन जैसे फॉलिक एसिड और विटामिन बी 12 वाली चीजें खानी चाहिए ।शाकाहारी भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक या मेथी बाजरा या रागी जैसे अनाज सेम फलीया और सूखा मेवा आदि खाने चाहिए।
जिला स्वस्थ भारत प्रेरक जितेंद्र कुमार गुप्ता ने बताया कि कुछ ऐसी परिस्थितियां होती हैं जिसमें शरीर में तेजी से खून तो बनता है लेकिन उतनी ही तेजी से शरीर खून खो देता है। जिसमें कुछ प्रकार के लिए कीड़े आंतो पर हमला कर खून चूसते हैं ।महिलाओं का मासिक धर्म के दौरान काफी खून बह जाता है । मलेरिया जैसे कुछ बीमारियां खून की लाल कोशिकाओं को नष्ट कर देती हैं। बवासीर जैसी बीमारियों में शरीर खून को देता है।
उन्होंने बताया कि बच्चों में एनीमिया होने के कई सामान्य कारण है। जिसमें गर्भ में बच्चे को जरूरी खून और सभी तरह का पोषण मां के शरीर से ही मिलता है। और जन्म के बाद से चार से छह महीनों के लिए उसके शरीर में अच्छी मात्रा में आयरन का भंडार पहले से होता है। इसके लिए 6 माह पूरे होने पर बच्चों को ऊपरी आहार शुरू नहीं करने पर बच्चे के शरीर में आयरन की कमी होने लगती है। जैसे ही माताएं बच्चों को ऊपर से दूध देना शुरु करती है तो भी आयन की कमी हो जाती है। बच्चों को बार बार दस्त बुखार जैसी बीमारी होने पर समय पर इलाज न मिलने और बीमारी के बाद उक्त पोषण ना मिलने की वजह से भी देश में छह माह से 5 साल के हर 10 बच्चों में से लगभग 6 बच्चों में एनीमिया की कमी पाई जाती है
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