किशोरियों और गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की कमी व बच्चे को स्तनपान के महत्व पर कार्यशाला का हुआ आयोजन

किशोरियों और गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की कमी व बच्चे को स्तनपान के महत्व पर कार्यशाला का हुआ आयोजन

ग़ाज़ीपुर। जनपद के किशोरियों और गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की कमी और 0 से 6 माह के बच्चे को स्तनपान कराने को लेकर एक कार्यशाला का आयोजन विकास भवन के सभागार में सोमवार को किया गया। इस कार्यशाला में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के सभी सीडीपीओ के साथ ही 6 विभाग के लोग भी शामिल रहे जो पोषण मिशन के कन्वर्जेंस योजना में कार्य कर रहे हैं।

कार्यशाला का आयोजन स्तनपान संबंधित समस्याओं में माता का सहयोग व एनीमिया की रोकथाम व बचाव विषय पर आधारित था । इस मौके पर जिला स्वस्थ भारत प्रेरक जितेंद्र गुप्ता ने बताया कि मां का दूध अमृत के समान है इसलिए स्तनपान के बारे में मां व परिवार के लोगों को बताना बेहद जरूरी है। साथ ही यह भी बताया कि अगर मां के द्वारा यह जानकारी प्राप्त होती है कि उसका दूध नहीं बनता है तो परिवार के साथ मां की काउंसलिंग सुनिश्चित की जानी चाहिए ।इसके साथ ही मां को 0 से 6 महीने तक के बच्चों को स्तनपान के अलावा कुछ भी नहीं दिया जाना चाहिए और कमजोर नवजात शिशु को विशेष देखभाल की जानी चाहिए।महिलाओं में एनीमिया की रोकथाम विषय पर चर्चा करते हुए सीडीपीओ धनेश्वर ने बताया कि एनीमिया से बचाव के लिए आयरन व पोषक तत्वों का लेना मां व सभी के लिए बहुत जरूरी है साथ ही एनीमिया की कमी के लक्षण व उपाय पर भी विस्तृत रूप से चर्चा किया गया।इस कार्यशाला में न्यूट्रेसियन इंडिया के मंडल कोऑर्डिनेटर वाराणसी पंकज श्रीवास्तव के द्वारा समस्त सीडीपीओ व सुपरवाइजर एबीआरसी मेंबर को बताया गया कि विटामिन ए के महत्व व उपयोग विषय पर किस तरह से लोगों के बीच में चर्चा किया जाए।

एनीमिया कमी के लक्षण

हथेली व पैरों के तलवे में पीलापन, नाखूनों में पीलापन, जिभ व होठों में पीलापन और कभी-कभी काले धब्बे, नाडी व नस का तेज चलना और तेज दिल की धड़कन, ऊंचाई या सीढ़ी चढ़ते समय सांस का फूलना, शारीरिक कार्य क्षमता का घटना ,मानसिक थकावट चिड़चिड़ापन।

एनीमिया के कमी को रोकने के उपाय

हरी पत्तेदार सब्जियों का प्रयोग ,बाजरा या रागी जैसे अनाज सूखे मेवे और प्रोटीन युक्त भोज्य पदार्थ का प्रयोग कर एनीमिया की कमी को दूर किया जा सकता है।