गाजीपुर। मोक्षदायिनी गंगा के जलधारा को अविरल व निर्मल बनाये जाने हेतु वर्तमान मे केन्द्र व प्रदेश सरकार की शीर्ष प्राथमिकता वाले महत्वाकांक्षी नमामि गंगे योजना के क्रम मे गंगा घाटो एवं गंगा नदी मे जाकर मिल रहे गन्दे नालों पर चल रहे वेस्ट वाटर ट्रीटमेन्ट (दूषित जल
उपचार) कार्यक्रम के तहत शुक्रवार को जिलाधिकारी के0बालाजी ने कार्यदायी संस्था,जलनिगम के इंजीनियरों एवं दूषित जल उपचार का जनपद मे काम कर रही संस्था ग्रीन वे टेक्नोलाजी के प्रतिनिधियों के साथ शहर के गंगा घाटो, नालों एवं गंगा से मिलने वाले डोमेस्टिक वेस्ट वाटर ड्रेन पर स्थापित तरल जीवाणु घोल की टंकियों का स्थलीय निरीक्षण किया।
जनपद मे नमामि गंगे से जुड़े इस वेस्ट वाटर ट्रीटमेन्ट कार्य की अवधि दिसम्बर 2018 से जून 2019 तक शासन द्वारा निर्धारित किया गया है। समय-समय पर गंगा के पानी की विषाक्तता के परीक्षण के लिए (भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान) के वैज्ञानिकों का दल जनपद आकर गंगा नदी मे जाकर मिलने वाले छोटे-बड़े नाले-नालियों एवं गंगा नदी के पानी का सैम्पल लेकर प्रयोगशाला मे उसकी जांच की जाती है। अनवरत चल रहे दुषित जल उपचार के फलस्वरूप गंगा का पानी अब सुधर रहा है, विषाक्तता काफी हद तक कम हो रहा है, जिसमे सबसे बड़ी भूमिका नालों के प्रवाह मे अनवरत छोड़े जा रहे तरल जीवाणु घोल अदा कर रहे है।
निरीक्षण के दौरान अधिशासी अभियन्ता जल निगम, सहायक अभियन्ता, अवर अभियन्ता एवं ग्रीन वे टेक्नोलाजी गाजीपुर के प्रतिनिधी अवधेश कुमार उर्फ बावनदास, कमलेश कुमार वर्मा आदि उपस्थित थे।