मतसा। क्षेत्र के सब्बलपुर स्थित रामलीला मैदान में आयोजित पंच दिवसीय धनुष यज्ञ रामलीला एवं त्रिदिवसीय श्रीरामकथा के तीसरे दिन कथाअमृत पान कराते हुए बुच्चा जी ने कहा कि रामजी के अनन्य सेवक हनुमान जी के जीवन चरित्र से आज के मनुष्यों, विशेषकर युवाओं को शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। अतुलित बल, बुद्धि और ज्ञान के स्वामी होते हुए भी अनियंत्रित नहीं होते ।
अपितु विवेक का आश्रय और बुजुर्गों के आदेश एवं निर्देश के अनुसार क्रिया संपादित करते हैं। अपनी प्रशंसा सुन कर तो हनुमान जी में कोई प्रतिक्रिया नहीं होती परन्तु जब राम कार्य करने के लिए उनका जन्म हुआ है ऐसा सुना तो सुनते ही पर्वताकार रुप में आ जाते हैं। संत दया राम दास ने कहा कि परमात्मा भी खोजता है कि धराधाम पर कोई मानव मिल जाए जिसके माध्यम से संसार के मनुष्य देहधारी जनों को मानवता की शिक्षा दे सके परन्तु जब मानवीय गुणों से विभूषित कोई नहीं मिलता तब वह निर्गुण निराकार ब्रह्म मनुष्य शरीर धारण करके धरातल पर अवतार ले लेता। आयोजन में नगदू महाराज, पं. राधेश्याम त्रिपाठी, कैलाश, संत भिखारी महाराज और शिवजी महाराज ने भी कथारस पान कराया। आयोजन समिति के अध्यक्ष भागवताचार्य पं.चंद्रेश ने सैकड़ों जरूरत मंदों को कम्बल एवं कथावाचकों को अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया। स्थानीय कलाकारों द्वारा रामलीला का सुंदर मंचन किया गया जिसको देखने के लिए सैकड़ों लोग देर रात तक जुटे रहे। कथामंच का संचालन विनोद श्रीवास्तव ने किया।