जमानियां। स्थानीय नगर स्थित परशुराम जमदग्नि ऋषि उर्फ बलूआ घाट पर सोमवार को देवउठनी एकादश्ाी और तुलसी विवाह को देखते हुए भारी महिलाये मां गंगा में स्नान किया। इस दौरान दान पूण्य भी किया गया।
घाट पर सुबह से स्नान करने वाले व्रती महिलाओं की भीड लगी रही। महिलाओं ने घाट पर इंख तुलसी का पौध, चुनरी आदि के साथ विधि विधान से तुलसी का विवाह संपंन किया गया। इस दौरान लोगो की भीड लगी रही। जोतिषार्चाय सतोष पाण्डेय ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार साल में कुल मिलाकर 24 एकादशी होती है जिनमें से देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व होता है। देवउठनी एकादशी को देवत्थान एकादशी, देवप्रबोधिनी एकादशी और ग्यारस एकादशी के नाम से भी जाना जाता हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस एकादशी पर भगवान विष्णु 4 महीनों की गहरी नींद के बाद जागते हैं। देवउठनी एकादशी के बाद से सभी तरह के शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। इस बार आज देवउठनी एकादशी है। देव उठनी एकादशी पर तुलसी विवाह किया जाता है जिसे छोटी दीवाली भी कहते हैं। तुलसी विवाह में वे सभी चीजें शामिल करें जो एक विवाह कराने में जरूरी होता है। जिस तरह के विवाह में लाल चुनरी का होना आवश्यक माना जाता है उसी तरह से तुलसी विवाह में लाल चुनरी का प्रयोग होना चाहिए। तुलसी विवाह में सुहाग की सारी सामग्री के साथ लाल चुनरी जरूर चढ़ाएं।