देश की संस्कृति एवं सभ्यता वनों में ही पल्लवित व विकसित हुई है-जिलाधिकारी

देश की संस्कृति एवं सभ्यता वनों में ही पल्लवित व विकसित हुई है-जिलाधिकारी

गाजीपुर।भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश शासन की मंशा के अनुरूप ‘वृक्षारोपण महाकुम्भ’ के अन्तर्गत ‘‘स्वतंत्रता दिवस’’ की 73वीं वर्षगाॅठ के अवसर पर स्नातकोत्तर महाविद्यालय परिवार के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-कृषि विज्ञान केन्द्र, तकनीकी शिक्षा एवं शोध संस्थान एवं आदर्श इण्टर कालेज द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र के परिसर एवं कृषि फार्म पर सागौन, अमरूद, सहजन, नींबू, आम के पौधे का वृक्षारोपण किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिलाधिकारी के0बालाजी ने ‘अनार’ की प्रजाति ‘कान्धारी’ का पौध लगाकर शुभारम्भ किया। शुभारम्भ के अवसर पर जिलाधिकारी ने कहा कि हमारे देश भारत की संस्कृति एवं सभ्यता वनों में ही पल्लवित तथा विकसित हुई है यह एक तरह से मानव का जीवन सहचर है वृक्षारोपण से प्रकृति का संतुलन बना रहता है वृक्ष अगर ना हो तो सरोवर (नदियां) में ना ही जल से भरी रहेंगी और ना ही सरिता ही कल-कल ध्वनि से प्रभावित होंगी। वृक्षों की जड़ों से वर्षा ऋतु का जल धरती के अन्दर पहुॅचता है। यही जल स्रोतों में पहुॅच करके हमें अपार जल शक्ति प्रदान करता है। वृक्षारोपण मानव समाज का सांस्कृतिक दायित्व भी है क्योंकि वृक्षारोपण हमारे जीवन को सुखी एवं संतुलित बनाए रखता है। वृक्षारोपण हमारे जीवन में राहत और सुखचैन प्रदान करता है, उन्होने कहावत के तौर पर कहा कि-‘‘वृक्षारोपण से ही पृथ्वी पर सुखचैन है, इसे लगाओ जीवन का एक महत्वपूर्ण संदेश है’’। पुलिस अधीक्षक डाॅ0 अरविन्द चतुर्वेदी ने वृक्षारोपण के अवसर पर कहा कि हमारे देश में जहाॅं वृक्षारोपण का कार्य होता है, वही इन्हें पूजा भी जाता है। कई ऐसे वृक्ष हैं, जिन्हें हमारे हिंदू धर्म में ईश्वर का निवास स्थान माना जाता है जैसे नीम, पीपल, आंवला, बरगद इत्यादि को शास्त्रों के अनुसार पूजनीय माना गया है और साथ ही धर्म शास्त्रों में सभी तरह से वृक्ष प्रकृति के सभी तत्वों की विवेचना करते हैं जिस वृक्ष की हम पूजा करते हैं वह औषधीय गुणों का भंडार भी होते हैं जो हमारी सेहत को बरकरार रखने में मददगार सिद्ध होते हैं। आदिकाल में वृक्ष से ही मनुष्य की भोजन की पूर्ति होती थी, वृक्ष के आसपास रहने से जीवन में मानसिक संतुलन और संतुष्टि मिलती है। स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सचिव/चेयरमैन एवं इलाहाबाद हाईकोर्ट के अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार सिंह ने अपने संदेश में कहा कि आज हमारे देशवासी वनों तथा वृक्षों की महत्ता को एक स्वर से स्वीकार कर रहे हैं, वन महोत्सव हमारे राष्ट्र की अनिवार्य आवश्यकता है, देश की समृद्धि में हमारे वृक्ष का भी महत्वपूर्ण योगदान है, इसलिए इस राष्ट्र के हर नागरिक को अपने लिए और अपने राष्ट्र के लिए वृक्षारोपण करना बहुत महत्वपूर्ण है। वन हमें दूषित वायु को ग्रहण करके शुद्ध एवं जीवनदायक वायु प्रदान करता है, जितनी वायु और जल जरूरी है उतना ही आवश्यक वृक्ष होते हैं, इसलिए वनों के साथ ही वृक्षारोपण सभी जगह करना आवश्यक है और कई तरह के लाभ देने वाले वनों की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। इसी क्रम में डी0एफ0ओ0  जी0सी0 त्रिपाठी, जिला उद्यान अधिकारी
डाॅ0 शैलेन्द्र कुमार दूबे, प्रधानाचार्य डाॅ0 पी0एन0 सिंह, स्नातकोत्तर महाविद्यालय के संयुक्त सचिव कृपाशंकर सिंह, एस0पी0 सिटी  तेजवीर सिंह, बालेश्वर सिंह,  अशोक सिंह, डाॅ0 डी0आर0 सिंह तथा स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ0 समर बहादुर सिंह ने वृक्षारोपण कार्यक्रम में भाग लिया। समापन अवसर पर प्राचार्य डाॅ0 समर बहादुर सिंह ने वृक्षारोपण कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों, प्राध्यापकों, वैज्ञानिकों, कर्मचारियों एवं छात्रों का धन्यवाद ज्ञापित किया। साथ ही उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्र के सीनियर साइंटिस्ट एण्ड हेड डाॅ0 दिनेश सिंह, उद्यान वैज्ञानिक डाॅ0 विनोद कुमार सिंह, मृदा वैज्ञानिक डाॅ0 डी0के0 सिंह, सस्य वैज्ञानिक डाॅ0 एस0के0 सिंह, पशुचिकित्सा वैज्ञानिक, डाॅ0 डी0पी0 श्रीवास्तव, फार्म मैनेजर डाॅ0 प्रमोद कुमार सिंह, आशीष कुमार वाजपेयी, मनोज कुमार मिश्रा, आशुतोष सिंह का विशेष आभार व्यक्त किया।