जमानियाँ।नगर स्थित यमदग्नि-परशुराम घाट पर बुद्धवार की शाम गंगा दशहरा महापर्व माँ गंगा उत्तर वाहिनी सेवा समिति के तत्वावधान में धूमधाम से मनाया गया।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गंगा हिमालय और मैना की पुत्री हैं और भगवान विष्णु के अंगूठे से निकलती हैं। राजा सगर के पुत्रों के उद्दार के लिए भागीरथ ने घोर तपस्या के मां गांगा को को धरती पर अवतरण लेने के लिए मना लिया। अवतरण से पहले गंगा ने भागीरथ से कहा, मेरा वेग बड़ा प्रबल है। यदि मैं यूं ही धरती पर अवतरित हो गई तो धरती यह वेग सह नहीं पाएगी। तबाही होगी। सिर्फ शिवशंभू ही हैं जो मेरा वेग सह सकते हैं इसलिए आप जाएं उनसे प्रार्थना करें कि वे मुझे अपनी जटा में शिरोधार्य करें। भागीरथ ने पुनः तपस्या कर भोलेनाथ को प्रसन्न किया। भोलेनाथ ने भागीरथ की प्रार्थना से खुश होकर गंगा नदी को अपनी जटाओं में स्थान दिया। जिस दिन यह दुर्लभ घटना हुई उसे गंगा दशहरे के रुप में मनाया जाता है।महापर्व पर सुवह से ही महिला व पुरुष श्रद्धालुओं का ताता लगा रहा।गंगा घाट को झालरो से सजा दिया गया था।
गंगा दशहरा महापर्व पर मुख्य अतिथि पूर्व कैबिनेट मंत्री के प्रतिनिधि मन्नू सिंह व विशिष्ट अतिथि उपजिलाधिकारी रमेश मौर्या,तहसीलदार आलोक कुमार,नगरपालिका अध्यक्ष एहसान जफर”रुमान”,नगर पंचायत दिलदारनगर अध्यक्ष अविनाश जायसवाल ने सर्वप्रथम माँ गंगा का पूजा बैदिक मंत्रोचार के द्वारा किया।समिति द्वारा प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार आर-पार का माला उतारा गया तथा विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा सम्पूर्ण विधि विधान व बैदिक मन्त्रोचार के साथ हवन-पूजन के पश्चयात माँ गंगा की भव्य आरती करायी गयी।इस दौरान श्रद्धालुओं के जयकारे से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात किये गये थे।उक्त अवसर पर समिति के अध्यक्ष कमलचन्द्र बाबा, गोपाल जायसवाल, हर्ष जायसवाल, पप्पू राय, गोर्वधन तिवारी, जयदेव वर्मा, साज जलाली, चन्द्रमौली पाण्डेय, आशीष वर्मा, प्रमोद यादव, अभय नरायण सोनी, आनन्द कुमार, संदीप जायसवाल आदि लोग उपस्थित रहे।