पल्स पोलियो अभियान का पहला चरण 7अप्रैल से 15 अप्रैल तक चलेगा

पल्स पोलियो अभियान का पहला चरण 7अप्रैल से 15 अप्रैल तक चलेगा

गाज़ीपुर। वित्तीय वर्ष 2019-20 के अंतर्गत पल्स पोलियो अभियान का पहला चरण जिले में 7 अप्रैल से 15 अप्रैल तक चलाया जाएगा, जिसके अंतर्गत 5.4 लाख बच्चों को दो बूंद ज़िंदगी की पिलाने का लक्ष्य तय किया गया है।
डबल्यूएचओ प्रतिनिधि डॉ पंकज सुथार ने बताया कि पोलियो या पोलियोमेलाइटिस एक गंभीर और खतरनाक बीमारी है। पोलियो वायरस से होता है। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है। साथ ही यह वायरस जिस भी व्यक्ति में प्रवेश करता है उसके मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है जिसकी वजह से लकवा भी हो सकता है।
उन्होने बताया कि यह दवा पाँच वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चोंह के लिये अत्यतन्त5 आवश्यिक है। यह दवा जन्मय पर, छठे, दसवें व चौदहवें सप्ताहह में फिर 16 से 24 माह की आयु में बूस्टर की खुराक दी जानी चाहिए। पाँच वर्ष तक की आयु के बच्चों को बार-बार खुराक पिलाने से पूरे क्षेत्र में इस बीमारी से लड़ने की क्षमता बढ़ती है, जिससे पोलियो के विषाणु को पनपने से रोकती है।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ आर के सिन्हा ने बताया कि पिछले चरण की तरह इस चरण के लिए भी जन्म से पाँच वर्ष तक के 5.4 लाख सम्भावित बच्चों को पोलियो रोधी दवा पिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पिछले चरण में जनपद की उपलब्धि 65% प्रतिशत रही थी। उन्होने बताया कि इस चरण के लिए जिले भर में 2009 बूथ बनाए गए हैं वहीं 7 अप्रैल को बूथ स्तर पर पोलियो अभियान चलाया जाएगा। इसके साथ ही अभियान के 945 टीमें तैनात किए गए हैं जो 8 अप्रैल से 15 अप्रैल तक घर-घर जाकर बच्चों को पोलियो कि दवा पिलाने का काम करेंगे। साथ ही बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर पोलियो की खुराक पिलाने के लिए 80 टीम ने बनाई गई हैं।
उन्होने बताया कि वर्ष 2011 में पोलियो का अन्तिम प्रकरण प्राप्त हुआ था जिसके बाद पोलियो वायरस फिर से भारत में प्रवेश न करे, इसके लिए भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पल्स पोलियो अभियान का आयोजन हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 10 मार्च को किया गया।
खास बात यह है कि भारत में पोलियो का अंतिम मामला 13 जनवरी 2011 को गुजरात और पश्चिम बंगाल में रिपोर्ट हुआ था। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को 27 मार्च 2014 को पोलियो मुक्त देश घोषित कर दिया था। हालांकि पड़ोसी देश जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान में फैले पोलियो के वायरस आने का खतरा बना हुआ है जिस वजह से देश में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत पल्सज पोलियो अभियान के दौरान पोलियो की दवा पिलाई जा रही है।