प्रचार प्रसार के अभाव में टेली मेडिसिन की सुविधा तोड़ रहा दम

प्रचार प्रसार के अभाव में टेली मेडिसिन की सुविधा तोड़ रहा दम

जमानियां। नागरिकों को बेहतर सुविधा देने और अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए प्रदेश सरकार ने टेली मेडिसिन व टेली रेडियोलॉजी की सुविधा शुरू कर दी है। यह सुविधा क्षेत्र के बरूइन गांव स्थित सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र में मौजूद है लेकिन इसका प्रचार प्रसार न होने से मरीज इसका लाभ नही उठा पा रहे है। बेहतरीन योजना अस्‍पताल में अधिकारियों और कर्मचारियों के उदासीनता के चलते दम तोड़ रही है।

टेली मेडिसिन योजना वर्तमान समय में जनपद के करीब 12 सीएचसी पर संचालित की जा रही है। योजना के तहत विशेषज्ञ डॉक्टरों की राय और सलाह लेकर मरीजों को बेहतर चिकित्सीय सुविधा मुहैया करायी जाती है। इसके लिए सीएचसी पर कंप्यूटर के साथ ही आधुनिक यंत्रों के द्वारा टेली मेडिसिन सेंटर में बड़े अस्पतालों से सीधे कनेक्ट होकर डॉक्टरों से बात कराया जाता है और मरीज अपनी समस्‍या को स्‍वम डाक्‍टर के समक्ष रखता है। सीएचसी में पूरा सेटअप भी लगाया जा चुका है और पूरी तरह से कार्य करने के लिए तैयार है। लेकिन प्रचार प्रसार के अभाव में यह योजना दम तोड़ती नजर आ रही है। टेली मेडिसिन के तहत लोगों को टेली कंसल्टेंसी और वीडियो कंसल्टेंसी के तौर पर दो तरह की सुविधाएं मिलेंगी, जबकि टेली रेडियोलॉजी में रेडियोलॉजिस्ट की निगरानी में एक्सरे, इसीजी आदि की सुविधाएं भी उपलब्ध है। इसमें सीएचसी अथवा पीएचसी से रेफर मरीजों को ही देखा जाएगा। छोटी-छोटी बीमारियों के लिए मरीजों को प्राईवेट या झोला छाप डाक्‍टरों पर निर्भर नही रहना पड़ेगा। सीएचसी पर बैठे तकनीकी विशेषज्ञ के पास सुबह ही विभागवार डाक्‍टरों की सूची उपलब्‍ध होने का समय प्राप्‍त हो जाता है। जिसके अधारा पर एक फार्म भर कर डाक्‍टर से मुलाकात का समय मरीज को बताया जाता है। जिसके बाद संबंधित विभाग के विशेषज्ञ डाक्‍टर अपने समय पर टेली मेडिसिन के कम्‍प्‍यूटर पर काल कर मरीज को देखते है और उसे आवश्‍यकतानुसार दवा देते है। इस संबंध डिस्‍ट्रीक क्‍वाडिनेटर सुर्य कुमार तिवारी ने बताया कि जनपद के कुल 12 सीएचसी पर टेली मेडिसिन की सुवि‍धा शुरू की गयी है और पूरी तरह से कार्य करने के लिए तैयार है। इसमें सीएचसी एवं पीएचसी के डाक्‍टरों द्वारा रेफर केस को अपोलो के विशेषज्ञ डाक्‍टरों द्वारा देखा जाता है और जरूरत के अनुसार दवा एवं सलाह दी जाती है। उन्‍होंने बताया कि अभी कम केस आ रहे है। सीएचसी बरूइन में अब तक 115 केस देखा गया है।