ज़मानियाँ। स्टेशन बाजार स्थित हिन्दू स्नातकोत्तर महाविद्यालय में कथाकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती संगोष्ठी कक्ष में मनाई गई। ‘ कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद : जीवन और साहित्य ‘ विषयक संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अंगद प्रसाद तिवारी ने करते हुए प्रेमचंद जी के जीवन और साहित्य पर विस्तार से प्रकाश डाला।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र सिंह ने प्रेमचंद को समन्वयवादी एवं कालजयी साहित्यकार बताया। बकौल राजेन्द्र सिंह प्रेमचंद ने समस्याएं ही नहीं उठाया बल्कि उनका समाधान भी अपनी रचनाओं में प्रस्तुत किया। मुंशी जी ने हाशिये के समाज को वाणी प्रदान की। प्रेमचन्द आमजन की भाषा में आमजन की कथा लिखते हैं। प्रेमचंद की प्रासंगिकता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनसे असहमति जताने वाले साहित्यकार भी प्रेमचंद को ही आधार मानकर आगे बढ़ते हैं। महान बांग्ला साहित्यकार शरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने प्रेमचंद जी को उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था। उनके साहित्य के अन्वेषण से हमें यह ज्ञात होता है कि वे नीर – क्षीर विवेक सम्पन्न साहित्य मनीषी थे।
संगोष्ठी में अपने विचार रखते हुए राजनीतिशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. मदन गोपाल सिन्हा ने प्रेमचंद वांग्मय में नारी चेतना पर विस्तार से प्रकाश डाला।कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रबन्धक लछि राम सिंह यादव एवं सदस्य रविन्द्र यादव रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ शरद कुमार ने मुंशी प्रेमचंद की साहित्यिक सेवाओं के सापेक्ष उनका नमन करते हुए उन्हें बेजोड़ कलमकार बताया। डॉ. शशिनाथ सिंह, डॉ. संजय कुमार सिंह, डॉ. ओमप्रकाश लाल श्रीवास्तव, डॉ. संजय कुमार राय सहित दर्जनों प्राध्यापक, छात्रों ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का सफल संचालन संगोष्ठी के आयोजन सचिव एवं हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. अखिलेश कुमार शर्मा शास्त्री ने किया।