स्त्री का गुरु उसका पति ही होता है-संत राघवाचार्य राहुलजी

स्त्री का गुरु उसका पति ही होता है-संत राघवाचार्य राहुलजी

जमानियाँ।क्षेत्र के जीवपुर ग्राम स्थित जनता इंटर कालेज में मानव धर्म प्रसार प्रवर्तन समाज सेवी संस्था रघुनाथ ,जीवपुर द्वारा आयोजित पंचदिवसीय संगीतमयी रामकथा में संत राघवाचार्य राहुलजी महाराज ने कहा कि स्त्री का गुरु उसका पति ही होता है ,पति चाहे कुरुप, रोगी अथवा धनहीन ही क्यों न हो उसका अपमान नहीं करना चाहिए।

पति सत्य और धर्म पथ से विचलित हो गया हो तो पत्नी को चाहिए कि यथासंभव उसको नीति, शास्त्र अथवा सेवा के बल पर धर्म और सद्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती रही।मंदोदरी का उदाहरण देकर महाराज ने समझाया कि रावण जैसे कुमार्गगामी पति को बार बार मंदोदरी समझाती है,कभी प्रेम का सहारा लेकर तो कभी भगवान के बल पौरुष का भय दिखाकर।भले रावण ने अपनी पत्नी की बातों को नजरअंदाज किया परन्तु मंदोदरी ने अपना प्रयास नहीं छोड़ा।प्रयत्न करना मानव के अधिकार में है, परिणाम तो परमात्मा के अधीन है। सम्मेलन में शिवजी महाराज ने कथाअमृत पान कराते हुए कहा कि कोई भी महान व्यक्ति या कार्य अनथक प्रयास, तपस्या और धैर्य का परिणाम होता है।गंगाजी के धरती पर अवतरित होने की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि राजा भगीरथ को श्रेय दिया जाता है कि वही गंगाजी को थरती पर अपने पूर्वजों की सद्गति के लिए लेकर आए।परन्तु उनसे पहले भी उनकी कई पीढ़ियों ने परिश्रम किया, अपना पूरा जीवन गंगाजी को लाने हेतु खफा दिया लेकिन असफल रहे।इस महती प्रयास और पुरुषार्थ को भगीरथ ने जारी रखा और अनेक बाधाओं को पार करते हुए गंगोत्री से गंगाजी को सागर तक पहुँचाने में सफल हुए।अतः कार्य के फलीभूत होने के बीच रुकावटें आएंगी तो भी निराशा की जगह आशा को जगाए रखना चाहिए।रात्रि में स्थानीय कलाकारों के द्वारा बहुत ही मनोहर और संवाद से परिपूर्ण रामलीला का मंचन किया गया, जिसको देखने के लिए देर रात्रि तक हजारों की संख्या में लोग जुटे रहे।सम्मेलन में संत दयाराम दास,राधेश्याम चौबे और चंद्रेश महाराज ने भी कथाअमृत पान कराया।कथामंच का संचालन सुखपाल ने किया।