डॉ०अंबेडकर भारत गणराज्य के निर्माता थे-पूर्व विधायक उमाशंकर कुशवाहा

डॉ०अंबेडकर भारत गणराज्य के निर्माता थे-पूर्व विधायक उमाशंकर कुशवाहा

राहुल सिंह

मरदह।क्षेत्र के लहुरापुर गांव में डॉ भीमराव अंबेडकर युवा संघर्ष समिति की तत्वाधान में विगत वर्षो की भांति इस वर्ष भी डॉ भीमराव अंबेडकर जयंती समारोह का आयोजन धूमधाम व हर्षोउल्लास से मनाया गया।

जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ ही विचार संगोष्ठी कि गई सभी वक्ताओं ने बाबा साहब के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि देते हुए उनके जीवन पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डालते हुए उनके बताए हुए मार्ग पर चलने के लिए युवा पीढ़ी को प्रेरित किया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व विधायक उमाशंकर कुशवाहा ने कहा कि 14 अप्रैल, 1891 – 6 दिसंबर, 1956, बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माता थे।युवा नेता मन्नू अंसारी ने कहा कि बाबा साहब विपुल प्रतिभा के छात्र थे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त कीं तथा विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में शोध कार्य भी किये थे। व्यावसायिक जीवन के आरम्भिक भाग में ये अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवं वकालत भी की तथा बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में अधिक बीता।तब भीमराव भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रचार और चर्चाओं में शामिल हो गए और पत्रिकाओं को प्रकाशित करने, राजनीतिक अधिकारों की वकालत करने और दलितों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत और भारत के निर्माण में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।पूर्व प्रमुख विजय सिंह यादव ने कहा 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया।1990 में, उन्हें भारत रत्न,भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था।१४ अप्रैल को उनका जन्म दिवस आम्बेडकर जयंती एक त्यौहार के रूप में भारत समेत दुनिया भर में मनाया जाता है। आम्बेडकर की विरासत में लोकप्रिय संस्कृति में कई स्मारक और चित्रण शामिल हैं।कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा जरूर दी जानी चाहिए।एक महान आदमी एक प्रतिष्ठित आदमी से इस तरह से अलग होता है कि वह समाज का नौकर बनने को तैयार रहता है।इस मौके पर बिरजू राम,रमेश राम,डां अजय कुमार,डां रमेशचन्द्र भंडारी,प्रोफ़ेसर डा सुभाषचंद्र,डॉ वीरेंद्र कुमार शाही, जिला पंचायत सदस्य गुड्डू यादव,पूर्व जिलाध्यक्ष बसपा सुभाष राम,गुड्डू राम,कमलेश गौतम, शिव प्रसाद, देवेंद्र प्रसाद, केदार राम, महेश मास्टर, हरि नारायण, हरि मंगल, राधेश्याम रसिया, राजेन्द्र, रामभजन, सीताराम, जयराम, देवनाथ, राजकुमार, राम सिंह, सदानंद चौधरी, राघवेंद्र कुमार, विरेन्द्र कुमार, अभिषेक कुमार, मंजीत, हरी नाम, श्रीराम, हरेंद्र, प्रशांत, विजय, रविन्द्र, धर्मेन्द्र ,अरविन्द ,संतोष ,प्रमोद, राकेश, दीपक, अमित, संदीप, विपिन, योगेश, अमित, शिशिर, सुजीत, अनिश, विकास, अभय, राकेश, श्रवण, विनय, शैलेश, अजित, इन्द्रजीत, मुन्ना, श्रवण, हेमंत, बृजेश, विशाल, बहादुर, रजनीश, सतीश चंद्र, अमन, मुकेश, हरिवंश, सुरज, अविनाश, देवेन्द्र प्रसाद, छोटे लाल आर्य, आदि लोग मौजूद रहे।