गाजीपुर। विश्व टीबी दिवस (24 मार्च) पर जिला अस्पताल के सभागार में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ जीसी मौर्य की अध्यक्षता में गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि विधायक डॉ संगीता बलवंत के प्रतिनिधि रामेश्वर तिवारी ने दीप प्रज्वलन कर किया। इस दौरान सीएमओ ने संचारी रोग नियंत्रण अभियान के तहत चिन्हित किए गए एक टीबी मरीज अनुराधा को एक माह की निःशुल्क दवा और पोषण के लिए अपनी तरफ 500 रुपये दिये।
इस वर्ष दिवस की थीम ‘द क्लॉक इज़ टिकिंग’ है जिसका मतलब है कि दुनियाभर में टीबी जैसी घातक बीमारी को खत्म करने के लिए कोई बड़ा और जल्दी कदम उठाएं, क्योंकि हमारे पास समय की कमी है। यह बीमारी जितनी फैलेगी, लोगों के जान जाने का खतरा उतना ही ज्यादा है। टीबी की रोकथाम के लिए जल्दी और निर्णायक कदम उठाने की जरूरत है।
सीएमओ ने कहा कि विश्व क्षय रोग दिवस मनाने के पीछे का उद्देश्य टीबी संक्रमण के बारे में सार्वजनिक जागरूकता फैलाना और इस वैश्विक महामारी को खत्म करने के प्रयासों को बढ़ावा देना है। सन 1882 में डॉ. रॉबर्ट कोच ने टीबी के जीवाणु की खोज की थी। डॉ कोच की खोज ने इस बीमारी के इलाज की दिशा में नए रास्ता खोल दिए। विश्व टीबी दिवस दुनिया भर में टीबी के प्रभाव के बारे में जनता को शिक्षित करने का दिन है। आज दुनियाभर में कैम्प लगाकर टीबी से बचने के उपाय और लक्षण की जानकारी दी जाती है। टीबी का इलाज आज विश्व के लगभग हर देशों में है। लेकिन फिर भी उस संक्रामक बीमारी से हर साल विकासशील देशों में लगभग 1.5 मिलियन लोगों की मौत हो जाती है।
एसीएमओ डॉ प्रगति कुमार ने बताया कि मरीज जिनमे टीबी के लक्षण है लेकिन लापरवाही के चलते वह अपना इलाज नही कराते हैं। ऐसे में सर्वे में पाए गए कुल मरीजो में 30% मरीज एमडीआर के मरीज होते है। हमें मरीजो को खोजने और उनका इलाज कराने की जरूरत है। तभी हम वर्ष 2025 तक देश को क्षय मुक्त कर सकते है। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय मे क्षय रोग विभाग के सभी कर्मचारियों ने एक एक मरीज को गोद लिया है।
जिला कार्यक्रम समन्वयक डॉक्टर मिथिलेश कुमार सिंह ने बताया कि टीबी मरीजों को पोषण योजना के अंतर्गत 500 रुपये प्रति माह छः माह तक विभाग के द्वारा भुगतान किया जाता है। अब तक जनपद के सभी टीबी मरीजों में 1.56 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि टीबी मरीजों की सूचना देने वाले इन्फॉर्मर को भी विभाग के द्वारा ₹1000 का भुगतानप्रोत्साहन के रूप में किया जाता है। यह इनफार्मर कोई भी हो सकता है।
उन्होंने बताया कि वर्ष में दो बार सक्रिय टीबी खोज अभियान चलाया जाता है जिसमें घर-घर जाकर टीबी के लक्षण पूछे जाते हैं। इसी कार्यक्रम के अंतर्गत पिछले दिनों जिला कारागार, बाल सुधार गृह ,अनाथालय, मदरसे इत्यादि जगहों पर यह अभियान चलाया गया और इस अभियान में कुल 105 मरीज चिन्हित किए गए। साथ ही उन्होंने बताया कि साल 2020 में एमडीआर मरीजों की संख्या 156 एवं 2021 में एमडीआर के मरीजों की संख्या 26 है।
टीबी के लक्षण और उपाए
दो हफ्ते से ज्यादा खांसी होना, खांसी में खून/ थूक का आना, बुखार आना, भूख न लगना, सीने में दर्द, थकान का अनुभव इत्यादी।
टीबी से बचने के उपाए- बच्चों को बीसीजी वैक्सीन लगवाएं, टीबी रोगी के पास मास्क और चेहरे को ढ़क कर जाए, टीबी के रोगी का ध्यान रखा जाए कि उसको सांस लेने में दिक्कत ना हो, टीबी के लिए डॉक्टर से संपर्क में रहें।
इस कार्यक्रम में डीटीओ मनोज सिंह, सीएमएस डॉ निसार,डॉ मिथिलेश यादव, एआरटी सेंटर के कर्मचारी,क्षय रोग विभाग के कर्मचारी के साथ एनजीओ से जुड़े लोग मौजूद रहे।