कंदवा(चन्दौली)।डेंगू में होम्योपैथिक इलाज बेहद ही कारगर है ।लेकिन ज्यादातर मामलों में मरीज या उसके परिजन ऐलोपैथी दवाओं पर ही भरोसा जताते हैं। होम्योपैथी पद्धति बेहद ही भरोसेमंद है और इसमें किसी तरह के साइड-इफेक्टस भी नहीं होते।उक्त बातें प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बरहनी के होमियोपैथ के चिकित्सक डा0 एसपी त्यागी ने कहीं।
उन्होंने कहा कि एडीज इजिप्टी मच्छरों के काटने से डेंगू रोग होता है।कहा कि होम्योपैथिक इलाज के दौरान मरीज को नियमित दवाओं के साथ-साथ रक्त जांच के जरिये प्लेटलेट्स और ल्यूकोसाइट्स काउंट की जांच करवाते रहना चाहिए। होम्योपैथिक दवाओं में किसी तरह का साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिलता लिहाजा होम्योपैथिक दवाएं डेंगू से पीड़ित गर्भवती महिलाओं को भी दी जा सकती हैं। डेंगू के इलाज में किसी भी तरह की लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है ।इसलिए ये जरूरी है कि आप पीड़ित का इलाज किसी विशेषज्ञ चिकित्सक से ही कराएं।बताया कि जब डेंगू का संक्रमण फैल रहा हो तो इससे बचाव के लिए “यूपाटोरियम पफलेटम” दवा की 10 -10 बूंद तीन बार पांच दिन तक लेनी चाहिए।
डेंगू के लक्षण
कंदवा।डेंगू की शुरुआत तेज बुखार से होता है जिसके साथ पूरे शरीर, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होता है। जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द की वजह से मरीज का चलना फिरना मुश्किल हो जाता है। जिसकी वजह से इसे ‘हड्डी तोड़ बुखार’ भी कहा जाता है। बुखार में आंखें लाल हो जाती हैं और आंखों से लगातार पानी बहता है। इन सबके साथ मरीज को उल्टी आना, जी घबराना, भूख नहीं लगना तथा नींद नहीं आने जैसे लक्षण मुख्य हैं।
डेंगू से बचाव
डेंगू फैलाने वाले एडीज इजिप्टी मच्छर ठहरे हुए साफ पानी में पनपते हैं। कूलर, पानी की टंकी, पक्षियों के पीने के पानी का बर्तन, फ्रिज की ट्रे, फूलदान, टूटे हुए बर्तन व टायर इत्यादि पानी से भरे हुए बर्तनों आदि को ढंककर रखना चाहिए। कूलर को खाली करके सूखा दें यदि कूलर तथा पानी की टंकियों को पूरी तरह खाली कर पाना संभव नहीं है तो उनमें सप्ताह में एक बार पेट्रोल या मिट्टी का तेल डाल दें। मच्छरों को भगाने व मारने के लिए मच्छर नाशक क्रीम, स्प्रे, मैट्स, क्वॉइल्स आदि प्रयोग करें। यह मच्छर दिन के समय में काटता है। ऐसे में दिन में ऐसे कपड़े पहनें जो बदन को पूरी तरह ढंक सके।