मुक्ति का मार्ग यहीं से …

मुक्ति का मार्ग यहीं से …

जमानिया। क्षेत्र के सब्बलपुर रामलीला मैदान में आयोजित त्रिदिवसीय श्रीराम के प्रथम दिन कथा अमृत पान कराते हुए कीर्तन सम्राट शिवजी महाराज ने कहा कि भगवान की कथा भव की औषधि है ।

चौरासी लाख योनियों में भ्रमण करते हुए जीव अनेकानेक दुख को प्राप्त करता है। परन्तु उसका जन्म मरण रुपी कुरोग समाप्त नहीं होता। लेकिन जब जीव को मनुष्य शरीर मिल जाता है और वह सत्संग करने लगता है तब वहां से रामकथा रुपी महौषधि पान कर जीवन मुक्त हो जाता है अथवा यों कहें कि जीव मोक्ष को प्राप्त कर लेता है। रामकथा, राम का नाम, राम का धाम एवं रामजी का विग्रह ये चारों कल्याण कारी हैं लेकिन इसमें रामजी के नाम की महिमा सर्वोपरि है, क्योंकि अन्य सभी साधन जब तक इंद्रियां सबल रहेंगी तभी तक सेवन करने में सक्षम होंगे। लेकिन रामजी का नाम जब तक जिह्वा काम करती रहती तब तक लिया जा सकता है और नाम स्मरण अंत समय में आ जाए तो मोक्ष मिलना ही मिलना है। आयोजन में श्री दीपनारायण शास्त्री, राधेश्याम चौबे,बुच्चा यादव एवं मानस कोकिला वंदना शास्त्री ने भी कथा अमृत पान कराया। कथा मंच का संचालन विनोद श्रीवास्तव ने किया।