भक्ति के साधन अनेक है-संत दयाराम दास

भक्ति के साधन अनेक है-संत दयाराम दास

जमानिया। क्षेत्र के करैलां गाँव में आयोजित एक दिवसीय श्रीरामकथा में मानव धर्म प्रसार प्रवर्तन संस्था के अध्यक्ष संत दयाराम दास ने कहा कि भगवान की भक्ति के साधन तो अनेक हैं परंतु मानव की सेवा को ही माधव की सेवा मानकर जो जीवन की यात्रा करता है वह मंदिर नहीं जाता, माला नहीं फेरता या दूसरा कोई जप यज्ञादि साधन नहीं अपनाता तो भी भगवान का सच्चा भक्त कहा जाएगा, भगवान के यहाँ उसका ऊंचा स्थान मिलेगा।

महाराज ने आगे कहा कि सत्य का आश्रय और सद्गुरु के चरणों का आश्रय लेकर संसारिक जिम्मेवारी का निर्वहन करना भी एक प्रकार की भक्ति ही है। पं.चंद्रेश महाराज ने कहा कि मनुष्य का जन्म बिषय भोग के लिए नहीं अपितु भगवान की भक्ति के लिए ही प्राप्त हुआ है। मनुष्य जन्म की प्राप्ति से पूर्व अनेक योनियों में भटकते ,दुख को भोगते हुए जीव ने भगवान से विनती किया कि हे प्रभो ! यदि आपने हमको मानव शरीर देने की कृपा किया तो केवल और केवल आपकी भक्ति ही करुंगा, आपका नाम ही निरंतर लूंगा।परन्तु जैसे बर्षा की बूंद जब तक आसमान में रहती है तब तक निर्मल रहती है लेकिन जैसे ही भूमि से उसका स्पर्श होता है बर्षा का जल गंदा हो जाता है, उसी प्रकार जीव भी मनुष्य शरीर पाने के बाद संसार के भोगों में लिपटकर भगवान की भक्ति से विमुख हो जाता है।सत्संग का आयोजन मानव को भगवान से किए कौल करार कराने के लिए होता है। आयोजन में राधेश्याम चौबे, कैलाश यादव, शशिकांत, बुच्चा यादव और अशोक शर्मा ने भी कथाअमृत पान कराया। कथामंच का संचालन विनोद श्रीवास्तव और आभार श्यामनरायण यादव ने प्रकट किया।