किशोर-किशोरियों के सच्चे साथी बने “साथिया केंद्र”

किशोर-किशोरियों के सच्चे साथी बने “साथिया केंद्र”

गाज़ीपुर। जनपद समेत 57 जिलों में किशोर/किशोरियों को परामर्श, स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने के लिए किशोर स्वास्थ्य क्लिनिक “साथिया केंद्र” के नाम से विकसित किया गया है।25 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में जनपद स्तर के अतिरिक्त सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर 344 स्थापित किशोर स्वास्थ्य क्लिनिक अब साथिया केंद्र बने।
प्रदेशभर के 13.58 लाख किशोर/किशोरियों ने अप्रैल 2019 से दिसंबर 2019 के दौरान पंजीकरण कराकर अपने सवालों का सटीक जवाब पाया
• 81000 किशोरियों ने माहवारी सम्बन्धी समस्याओं के बारे में जानकारी ली
• 1.5 लाख से अधिक किशोरों ने यौन रोगों और परिवार नियोजन के संसाधनों के बारे में केन्द्रों से संपर्क साधा
*गाज़ीपुर/लखनऊ, 11 फरवरी 2020*
किशोरावस्था (10 -19 वर्ष) एक परिवर्तनशील वृद्धि तथा विकास की एक बहुत ही महत्वपूर्ण अवस्था होती है। इस अवस्था में शारीरिक एवं मानसिक बदलाव बहुत तीव्रता से होते हैं और किशोर-किशोरी यौन, मानसिक तथा व्यवहारिक रूप से परिपक्व होने लगते हैं। इस दौरान किशोर/किशोरियों की समस्याओं में विभिन्नता के साथ-साथ जोखिम भी अलग-अलग होते हैं। एक विवाहित अथवा अविवाहित, स्कूल जाने वाले तथा न जाने वाले, ग्रामीण या शहरी क्षेत्र के किशोर/किशोरियों की यौन विषय पर जानकारी भी अलग-अलग होती है। इन्हीं उलझनों को सुलझाने के लिए उन्हें एक सच्चे साथी की जरुरत महसूस होती है। हालाँकि वह इन विषयों की गोपनीयता भंग होने के डर से किसी से चर्चा करने से भी कतराते हैं। इसका परिणाम होता है कि वह ऐसी गतिविधियों अथवा आदतों के शिकार हो जाते हैं जो उनके जीवन को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं क्योंकि चाहे शारीरिक विकास की बात हो या शिक्षा का क्षेत्र यही वह समय होता है जो उनके आगे के सारे जीवन की बुनियाद रखते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए हर साल 12 फरवरी को किशोर-किशोरियों को इन मुद्दों पर जागरूक करने के लिए यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।
उत्तर प्रदेश सरकार का भी किशोर-किशोरियों को इन सारे मुद्दों पर सटीक और पूरी तरह से सही-सही जानकारी मुहैया कराने पर पूरा जोर है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के 57 जिलों में किशोर-किशोरियों को परामर्श, स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने के लिए किशोर स्वास्थ्य क्लिनिक अब नए कलेवर में “साथिया केंद्र” के नाम से स्थापित किये गए हैं। वहीं 25 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में जनपद स्तर के अतिरिक्त सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर 344 किशोर स्वास्थ्य क्लीनिकों को अब साथिया केंद्र के नाम से विकसित किया जा रहा है। क्लिनिक पर प्रशिक्षित परामर्शदाताओं द्वारा किशोर-किशोरियों के स्वास्थ्य विषयों पर परामर्श की समुचित सेवाएं मिल रही हैं। इससे उनके जीवन में बड़े बदलाव भी देखने को साफ़ मिल रहे हैं। इसके साथ ही प्रदेश के चिकित्सालयों में कार्यरत चिकित्सकों, ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य केन्द्रों पर तैनात ए.एन.एम. और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर तैनात कम्युनिटी हेल्थ आफिसर से भी संपर्क कर किशोर स्वास्थ्य से जुड़े हर मुद्दों को आसानी से सुलझाया जा सकता है। प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर भी किशोर किशोरियों के तमाम उत्कंठाएँ होती हैं जिनके बारे में सही जानकारी वह चाहते हैं।
एक नज़र आंकड़ों पर
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-उत्तर प्रदेश के महा प्रबन्धक-किशोर स्वास्थ्य डॉ. मनोज कुमार शुकुल का कहना है कि वर्तमान में प्रदेश में कुल 344 साथिया केंद्र क्रियाशील हैं। इन किशोर स्वास्थ्य क्लिनिक (ए.एफ.एच.एस.सी.) पर अप्रैल 2019 से दिसंबर 2019 तक 13.58 लाख किशोर-किशोरियों द्वारा अपना पंजीकरण कराकर परामर्श एवं क्लिनिकल सेवाएं प्राप्त की गयी हैं। करीब 81000 किशोरियों ने माहवारी से सम्बंधित समस्याओं के बारे में जानकारी ली है। दूसरी ओर 1.5 लाख से अधिक किशोरों ने यौन रोगों, परिवार नियोजन के संसाधनों और यौनाचार से पीड़ित किशोरों ने इन केन्द्रों पर संपर्क साधा है।
नजरंदाज न करें, समस्या को सुलझाएं:

किशोरावस्था के दौरान माता-पिता को भी बच्चों की समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए। उनकी समस्याओं को धैर्य पूर्वक सुनें और उचित सलाह दें न कि नजरंदाज करें। टालने और नजरदांज करने से माता-पिता एवं युवाओं की प्रतिक्रियाएं उनके आपसी स्नेहपूर्ण तथा जिम्मेदार संबंधों में स्वस्थ लैंगिक विकास के विषय में संवाद को मुश्किल बनाते हैं। इसी को ध्यान में रखकर स्कूलों द्वारा भी बच्चों को इस सम्बन्ध में उचित परामर्श प्रदान करने की व्यवस्था की गयी है ताकि बच्चे अपने स्वर्णिम पथ पर अग्रसर हो सकें।