त्रिदिवसीय विराट मानस सम्‍मेलन के आखरी दिन

त्रिदिवसीय विराट मानस सम्‍मेलन के आखरी दिन

ज़मानियां। स्थानीय स्टेशन बाजार स्थित रामलीला मैदान में चल रहे तीन दिवसीय विराट मानस सम्मेलन के अंतिम व तीसरे दिन मिर्जापुर से आयीं मानस कोकिला सुधा पाण्डेय ने श्री राम चरित मानस की महत्ता बताते हुए कथा श्रोताओं को बतायीं कि राम चरित मानस के श्रवण से भक्त और भगवान के बीच प्रेम की भावना प्रबल होती है।

भाईचारा, त्याग, प्रेम, तपस्या, आदर्श, बुराई पर अच्छाई की विजय आदि का ज्ञान हमें श्री राम चरित मानस से मिलती है। जिस प्रकार से प्रभु श्री राम ने अपने पिता की आज्ञा मानते हुए समाज में सन्देश और आदर्श स्थापित करने के लिये अपने भाई भारत को राज सिंहासन दे कर 14 वर्ष का वनवास धारण किया। उसी प्रकार भरत ने भी 14 वर्ष तक अयोध्या के राज सिंहासन पर अपने भाई श्री राम के चरण पादुका को रख कर समाज में भाई प्रेम की अद्भुत आदर्श की स्थापना की। आज के परिवेश में जिस प्रकार से भाइयों के बीच नफरत की भावना प्रबल होती दिख रही है, ऐसे परिवेश में एक मात्र श्री राम चरित मानस ही ऐसा ग्रन्थ है। जिसका अनुसरण करते हुए भगवन श्री राम के आदर्शों पर चल कर नफरत की भावना को समाप्त किया जा सकता है। मानस कथा की महत्ता को बताते हुए कहीं कि बड़े सौभाग्य के बाद मानस कथा के श्रवण का पुण्य प्राप्त होता है। इनके बाद अन्य मानस वक्ताओं ने अपने अलग अलग विधा से मानस कथा श्रोताओं को राम चरित मानस कथा अमृत पान कराया। कथा के अंत मे प्रभु श्रीराम की आरती सम्पन्न कर प्रसाद का वितरण कर मानस कथा का समापन किया गया। इस अवसर पर पं सतीश चंद्र त्रिपाठी, संजय त्रिपाठी, मदन मोहन मिश्र, सदन बिहारी चतुर्वेदी, उमेश शास्त्री, संयोजक कैलाश सिंह, पिंटू वर्मा, बाबूलाल रौनियार, संजय उपाध्याय आदि सहित सैकड़ों क्षेत्रवासी मौजूद रहे।