जमानियां। सियासी गलियारों और टीवी चैनल्स पर ही नहीं ‘चाय की दूकानों, चट्टी, चौराहे’ पर भी हर रोज सरकार बन बिगड़ रही है। सेहत की चिंता से मुक्त होने के मकसद से मार्निंग वाक करने वाले हों या चाय की दुकानों पर चुस्की के बीच घंटों अपनी-अपनी सुनाने वाले ‘विचारक’, या फिर नगर का युवा जोश, हर जगह इन दिनों चर्चा में सियासी उठा-पठक ही हावी है। गाजीपुर में लोकसभा चुनाव भले ही अंतिम चरण में हों परंतु अभी से चुनावी फिजां गरमाने लगी है।
चट्टी- चौराहों से लगायत गांव के चौपाल पर भी चुनावी चर्चा जोर पकड़ रही है। इस बार सपा बसपा के गठबंधन के चलते मुख्य मुकाबला सिर्फ भाजपा और गठबंधन के बीच ही माना जा रहा है। समर्थक अपने प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाने तथा जातीय आंकड़ों के आधार पर अपना पलड़ा भारी बताने में जुटे हैं। वहीं कुछ लोग विकास को जातीय समीकरण पर भारी पड़ने की चर्चा कर रहे हैं। स्थानीय स्तर के मुद्दे चुनावी चकल्लस का भाग तो हैं ही राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य की भी अपने अपने अंदाज में लोग चर्चा कर रहे हैं। वर्तमान सरकार के कामकाज को लोग अपनी कसौटी पर परख रहे हैं। वहीं विपक्ष की भूमिका में मौजूद दलों की दलीलों का भी लोग अपने हिसाब से विश्लेषण कर रहे हैं। क्षेत्र में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। जैसे-जैसे चुनाव के दिन नजदीक आते जाएंगे चुनावी चकल्लस की गति और भी बढ़ने वाली है।
अमर नाथ तिवारी ने कहा कि वोट उसी प्रत्याशी को दिया जाएगा, जो जनता के सुख दुख में काम आने वाला हो। सबकी बात सुने। सांसद मिलनसार और जनप्रिय होना चाहिए। उसका क्षेत्र की जनता से सरोकार होना चाहिए। प्रत्याशी जीतने के बाद जनता को उसकी हाल पर छोड़ देते हैं।
सिगहासन कुशवाहा ने कहा कि चुनाव के दौरान तो प्रत्याशी घर-घर घूमते हैं लेकिन जीतने के बाद वह पांच साल दिल्ली में सो जाते हैं। इस बार ऐसे प्रत्याशी का चुनाव किया जाएगा जो जनता के बीच बना रहें। चाय दुकानदार अमित कुमार की दुकान पर तो राजनीति की हर ‘चुस्की’ जैसे अनुभव की अंगीठी में पकाई गई है।
दिनेश कुमार जालान ने कहा बाजारों में चहल पहल तो अब बढ़ेगी ही। कस्बे सहित स्टेशन बाजार और गांव के चट्टी पर दुकानें देर तक खुलने लगी हैं । चुनाव को लेकर चर्चा गर्म है, कई बार तू-तू मैं मैं में बीच बचाव तक की नौबत आ जाती है।