गाजीपुर। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत जनपद गाजीपुर में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य से संबन्धित कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसी क्रम में राष्ट्रीय अंधता निवारण कार्यक्रम के तहत साल 2018-19 में जिले में कुल 8,434 लोगों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया।
सरकार ने वर्ष 1976 में अंधता को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्री य कार्यक्रम प्रारंभ किया ताकि कुल जनसंख्याक का 0.3 प्रतिशत की व्याकपकता दर को प्राप्त किया जा सके। अंधता को नियंत्रित करने के लिए देश भर में जिला स्तकर पर अंधता नियंत्रण संस्थादओं को भी स्थाापित किया गया है तथा कई गैर सरकारी संगठन भी भारत में अंधता नियंत्रण के लिए महत्वापूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। नेत्र सर्जन और जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ डी॰पी॰ सिन्हा ने बताया कि इस समय जनपद में वायरल ‘कंजेक्टिवायरिन’ फैला हुआ है जिसमें लोगों की आँख लाल हो जाती है। इसके लक्षण आंख में तेज दर्द के साथ पानी गिरना, आंख में लाली पन, सूर्य की रोशनी में आंखें बंद होना और आंख का गड़ना है। उन्होंने बताया कि जनपद में चल रहे तीन आइओएल सेंटर जिसमें जिला चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सैदपुर और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बरुइन है। इन सेंटरों के माध्यम से साल 2018-19 में 8 से 14 साल के स्कूली बच्चों में 3455 को निशुल्क चश्मा का वितरण किया गया जबकि लक्ष्य 3,630 था। वहीं 461 बुजुर्गों को चश्मे भी बांटे गए। उन्होंने बताया कि जनपद में नि:शुल्क मोतियाबिंद का ऑपरेशन 1,127 लोगों का किया गया वहीं एनजीओ के द्वारा 2,401 ऑपरेशन किए गए हैं जबकि निजी चिकित्सालयों के माध्यम से 5,206 लोगों ने मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया। उन्होने बताया इस वायरस से बचने के लिए वायरल से पीड़ित किसी भी व्यक्ति से हाथ न मिलाएं। उनके द्वारा प्रयोग किए गए तौलिया और रुमाल का प्रयोग न करें। आंख लाल होने पर चश्मा लगाएं, ठंडे पानी से आग धोएँ, आई ड्रॉप का प्रयोग करें। इसके साथ ही तेज दर्द होने पर नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं और डॉक्टर की सलाह पर दवा लें और यदि ज्यादा समस्या हो तो नेत्र सर्जन से भी परामर्श लें। लेकिन आंखों को न मले और बार-बार आपको पानी से न धोएं। उन्होंने बताया कि आंखों को प्रभावित करने वाले मुख्य् रोग हैं मोतियाबिन्दह, ग्लू कोमा, आयु से संबंधित मैक्यूंलर निम्नी करण, भेंगापन, डिटेच्डन रेटिना, मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया। हालांकि आंखें हमारे शरीर का सबसे महत्वलपूर्ण अंग हैं इसलिए यह महत्वतपूर्ण है कि इन्हेंे स्वेस्थआ और रोग मुक्तत रखने के लिए आवश्य्क कदम उठाए जाएं। ऑपरेशन कक्ष में सहयोग के रूप में डॉ रघुनंदन, डॉ धर्मेंद्र और स्नेहा सिंह शामिल रहीं। वहीं नेत्र परीक्षक रामनाथ यादव, मनोज, अनिल, भुल्लन राम के साथ ही वार्ड ब्वॉय नंदलाल ने पूरी तरह से सहयोग किया।