मोहर्रम का चालीसवां मनाया गया

मोहर्रम का चालीसवां मनाया गया

जमानियां। नगर पालिका क्षेत्र के खिजरी शहीद दुरहिया के कर्बला में मंगलवार को मोहर्रम का चालीसवां मनाया गया और कुरान खानी के बाद देर शाम करीब 6 बजे मिलादुन नबी का मजलीस का कार्यक्रम हुआ। जिसमें लोगों ने नात पेश किया।
कार्यक्रम की शुरुआत में कुरान खानी के साथ हुआ और मैदाने कर्बला में शहीद हुए इमाम हुसैन व उनके 71 अनुयायियों की शहादत के चालीस दिन बाद चेहल्लुम मनाया गया। मौलाना तनवीर रजा ने कहा कि इमाम हुसैन मोहर्रम की दसवीं पर शहीद हुए थे, चालीसवें के मौके पर उनके और उनके साथियों की शहादत को एक बार फिर याद कर रहे है। उन्होंने बताया कि हजरत इमाम हुसैन ने लोकतंत्र और मानवता के लिए यजीदियों की यातनाएं सही। यजीद जुल्मों जबर की बुनियाद पर हुकूमत चाहता था करबला के मैदान में हुसैन का मुकाबला ऐसे जालिम व जाबिर से था, जिसकी सरहदें मुलतान और आगे तक फैली हुई थी। उसके जुल्म को रोकने के लिए इमाम हुसैन आगे बढ़े। उस समय उनके साथ मात्र 72 हकपरस्त (सैनिक) थे, तो दूसरी तरफ यजीद की 22000 हथियारों फौज थी। जिसमें वे वह और उनके साथी ने शहादत का जाम पिया और पूरी दुनिया को हक पर रहने और हक के लिए लड़ने का का पैगाम दिया । आज दुनिया यजीद को नहीं बल्कि हुसैन को और उनकी कुर्बानी को याद किया जा रहा है। शायर नजीब उद्दीन खान इमाम हुसैन सहित अन्य लोगों ने एक से बढ कर एक उनके शान में कलाम पेश किए। इस अवसर पर सोहराब शाह‚ निजाम शाह‚ सोनू‚ तनवीर‚ मोहम्मद कलीम‚ राजू‚ सहबाज‚ अनवार शाह‚ नौशी‚ मोहम्मद हफिज‚ वसिम आदि उपस्थित रहें।