ग़ाज़ीपुर। विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस के मौके पर सादात ब्लाक के मिर्जापुर स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत आने वाले प्राथमिक और जूनियर हाई स्कूलों में पढ़ने वाली 10 से 19 वर्ष के किशोरियों के मध्य बीते दिवस सेनेटरी पैड का वितरण किया गया। साथ ही माहवारी के समय स्वच्छता प्रबंधन से होने वाले शारीरिक लाभ व अन्य जानकारियां भी दी गईं।
सादत ब्लॉक की बीपीएम सोनल श्रीवास्तव ने बताया कि यह कार्यक्रम मुख्य चिकित्सा अधिकारी के निर्देश पर और प्रभारी चिकित्साधीक्षक डॉ आरपी यादव के दिशा निर्देश में किया गया। स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत आने वाले करीब 5 से 6 प्राथमिक और जूनियर हाई स्कूलों में टीचर के माध्यम से बुलाकर लगभग 600 सेनेटरी पैड किशोरियों के मध्य बांटा गया। उन्होंने बताया कि महावारी के दौरान ग्रामीण इलाकों में कई तरह की भ्रांतियां जैसे माहवारी के समय न नहाना, मंदिर न जाना, पूजा पाठ न करना आदि फैली हुई है उसको दूर कर किशोरियों को जागरुक किया गया।प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सादात पर तैनात डॉ निष्ठा यादव ने महावारी दिवस के बाबत बताया कि माहवारी के दौरान स्वच्छता से जुड़े मुद्दों पर जागरुकता उत्पन्न करना इसका मुख्य उद्देश्य है। हैरत की बात है कि आज के समय में भी इसके साथ सामाजिक भेदभाव और अज्ञानता जुड़ी है। इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर चुप्पी तोड़ना तथा इनकी ओर समाज का ध्यान दिलाना बेहद ही जरूरत है। मासिक धर्म या पीरियड्स महिलाओं की जिंदगी का एक अभिन्न हिस्सा है। यह महीने में महिलाओं को कम से कम 6-7 दिनों तक रहता है।जिला महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ विनीता जायसवाल ने बताया कि माहवारी के समय-समय पर अलग-अलग परेशानी होती है। उसी तरह उनके ब्लड का रंग भी अलग-अलग होता है लेकिन ज्यादातर महिलाओं को यह पता नहीं होता। पीरियड्स के दौरान खून लाल, गुलाबी, भूरा, काला या संतरी रंग का भी हो सकता है। स्त्री रोग विशेषज्ञ मानते हैं कि पीरियड में खून के रंग के आधार पर महिला की अंदरुनी हेल्थ से जुड़ी बातों का पता चल सकता है।उन्होने बताया कि यदि किशोरी या महिला को महामारी के समय कम ब्लीडिंग या अधिक मात्रा में ब्लीडिंग होती है या 3 से 4 महीने के अंतराल पर होता हो तो इसे हार्मोनल इन वायलेंस कहते हैं। इस तरह के मामले आने पर किशोरी व महिलाओं को किसी महिला डॉक्टर को दिखाना और उनसे राय लेनी चाहिए।