पोषण मिशन योजना के तहत 6 माह के बच्चों को खिलाया गया पोषाहार से बने व्यंजन

पोषण मिशन योजना के तहत 6 माह के बच्चों को खिलाया गया पोषाहार से बने व्यंजन

ग़ाज़ीपुर। पोषण मिशन अंतर्गत कार्यक्रम के अंतर्गत गुरुवार को सभी केन्द्रों पर अन्नप्राशन दिवस का विशेष आयोजन जिले के सभी केन्द्रों पर किया गया ताकि 6 माह के बच्चों को प्रथम बार मॉ के दूध के अलावा उपरी आहार के रूप में तरल, सुपाच्य पौष्टीक भोजन जैसे खीर, खिचडी, सूजी का हलवा आदि बनाकर विधि पूर्वक अन्नप्राशन कराया गया।

माताओं को अपने बच्चो के विकास हेतु खान पान मे ‘क्या देना है’ इसकी पूरी जानकारी दी गई। इसके अलावा सभी धात्री महिलाओं को छह माह सिर्फ स्तनपान और इसके बाद अतिरिक्त ऊपरी अर्ध ठोस आहार देने कि सलाह दी गयी। इसके साथ ही 9 और 18 माह पूरा कर चुके बच्चों का टीकाकरण भी किया गया। साथ ही गर्भवती महिलाओं को टीटी का इंजेक्शन लगाया गया।
बाराचवर ब्लॉक परियोजना की सीडीपीओ फूलमती भारती ने बताया कि परियोजना के अंतर्गत कुल 229 सेंटर पर अन्नप्राशन का कार्यक्रम किया गया। साथ ही 6-7 सेंटरों पर टीकाकरण का कार्य भी किया गया। उन्होंने बताया कि अन्नप्राशन के इस अवसर पर 6 माह के बच्चों पोषाहार से बने व्यंजन खिलाया गया और उनकी मां को आहार देने के साथ ही लगातार दो साल तक अपना दूध पिलाया जाने का परामर्श भी दिया गया। इस दौरान सीडीपीओ फूलमती भारतीय प्राथमिक पाठशाला बाराचावर पर 2 बच्चो का अन्नप्राशन करा कार्यक्रम का शुरुआत किया और उन्हें 2 साल तक बच्चों का कैसे पालन पोषण करना है इस बारे में भी बताया गया। इस दौरान सुपरवाइजर प्रमिला सिंह आंगनबाड़ी उषा सिंह और ज्ञानती के साथ ही सीडीपीओ फूलमती भारती मौजूद रही।इस दौरान सभी महिलाओं, खासकर धात्री महिलाओं को जानकरी देते हुए बताया कि छठे महीने में, जब शिशु के प्रायः दाँत निकल आते हैं, तब उसे उबला हुआ अन्न खिलाया जाता है। इसमें वह दही, शहद, घी, चावल आदि खिला सकते हैं। उन्होने बताया कि इस दिवस के पूर्व शिशु अपने भोजन के लिए माता के दूध पर निर्भर रहता था। वहीं जब शिशु की पाचन शक्ति बढ़ जाती है और उसके शरीर के विकास के लिए पौष्टिक तत्वों की आवश्यकता पड़ती है, तब शिशु को प्रथम बार अन्न अथवा अर्ध ठोस आहार दिया जाता है।इसके साथ ही सभी महिलाओं को पोषण के अन्तर्गत हरी सब्जी, दूध, फल का सेवन, स्वास्थ्य के अन्तर्गत नियमित टीकाकरण, आयरन की गोली, प्रसव पूर्व जांच संस्थागत प्रसव के बारे विस्तार से बताया| बताया ज्ञ कि स्तनपान कराने से मां एवं बच्चे के बीच भावनात्मक लगाव बढ़ता है। मां के दूध में मौजूद पोषक तत्व से बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे बच्चे निरोगी रहते हैं।