ग़ाज़ीपुर। शासन के द्वारा ग्रामीण इलाकों में कुपोषण को दूर करने के लिए पोषण मिशन पर इन दिनों काफी जोर दे रही है। इसी के तहत जिला स्वस्थ भारत प्रेरक जितेंद्र गुप्ता के द्वारा इन दिनों सभी परियोजनाओं पर स्तनपान और एनीमिया को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।
इसी कड़ी में आज देवकली परियोजना पर संबंधित सभी सुपरवाइजर और आंगनबाड़ियों की एक कार्यशाला का आयोजना किया गया जिसमें स्तनपान में माता का सहयोग और एनीमिया की रोकथाम को लेकर चर्चा की गयी।जितेंद्र गुप्ता ने बताया कि शिशु के जन्म के पश्चात स्तनपान एक स्वाभाविक क्रिया है। स्तनपान के बारे में सही ज्ञान के अभाव के कारण बच्चों में कुपोषण एवं संक्रमण जैसे रोग हो जाते है। स्तनपान की प्रक्रिया शिशु के लिए संरक्षण और संवर्धन का काम करता है। माँ का दूध बच्चे के लिए केवल पोषण ही नहीं बल्कि जीवन की अमृत धारा है, इससे मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। डॉक्टर कि सलाहनुसार शिशुओं को जन्म के पश्चात छ: महीने तक केवल माँ का दूध पिलाने की सलाह दी जाती है। स्तनपान के प्रति प्रोत्साहन और जन जागरूकता लाने के कारण अगस्त माह के प्रथम सप्ताह को पूरे विश्व में स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। बाल्यावस्था में होने वाली निमोनिया और दस्त जैसी बीमारी को रोकने में माँ का दूध बहुत महत्वपूर्ण योगदान देता है। विश्व भर में सबसे अधिक बच्चों की मृत्यु का कारण निमोनिया है।प्रभारी सीडीपीओ कंचन लता ने बताया कि एनीमिया का अर्थ है- शरीर में खून की कमी होना। यह तब होता है, जब शरीर के रक्त में लाल कणों या कोशिकाओं के नष्ट होने की दर, उनके निर्माण की दर से अधिक होती है। किशोरावस्था और रजोनिवृत्ति के बीच की आयु में एनीमिया सबसे अधिक होता है। भारत में 80 प्रतिशत से अधिक गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं गर्भवती महिलाओं को बढ़ते शिशु के लिए भी रक्त निर्माण करना पड़ता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को एनीमिया होने की संभावना होती है। एनीमिया एक गंभीर बीमारी है। इसके कारण महिलाओं को अन्य बीमारियां होने की संभावना और बढ़ जाती है। एनीमिया से पीड़ित महिलाओं की प्रसव के दौरान मरने की संभावना सबसे अधिक होती है।