गाज़ीपुर। सोमवार को बाल विकास परियोजना सैदपुर के साथ ही जनपद के सभी परियोजना में 6 माह से ऊपर के बच्चों को स्तनपान के साथ ही ऊपरी अर्द्ध ठोस आहार देने के लिए पोषण मिशन के तहत प्रशिक्षण शुरू किया गया।
सैदपुर परियोजना की सीडीपीओ माधुरी सिंह ने बताया कि औड़िहार, गोरखा, सैदपुर टाउन, सिधौना के आंगनबाड़ी केंद्रों पर इसकी ट्रेनिंग दी गई है। वहीं अन्य केंद्रों पर भी आने वाले समय में ट्रेनिंग देकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जाएगा जिसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को यह बताया गया कि 6 माह तक के बच्चे को मां के स्तनपान पर ही रखना चाहिए और बच्चा जब 6 माह से अधिक का हो जाए तो उसे मां के दूध के अलावा अन्य अर्द्ध ठोस पदार्थों की भी जरूरत होती है। ऐसे समय में उसे कौन-कौन से पदार्थ और कब देने चाहिए इस बात की जानकारी दी गई है। ताकि वह अपने-अपने आंगनबाड़ी केंद्र के तहत आने वाले इलाकों में निवास करने वाली माताओं को इस बात की जानकारी दे सकें जिससे आने वाले वक्त में कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी लायी जा सके।पोषण मिशन को लेकर कुछ दिन पूर्व नवागत जिला कार्यक्रम अधिकारी अरुण दुबे की अध्यक्षता में एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया था जिसमें 6 माह से ऊपर के बच्चों को मां के दूध के साथ अर्द्ध ठोस आहार ‘कब और कैसे दे’ इसके बारे में जनपद के सभी सीडीपीओ और सुपरवाइजर को जानकारी दी गयी।जिला स्वस्थ भारत प्रेरक जितेंद्र गुप्ता ने बताया कि पोषण मिशन की इस योजना में 6 माह से ऊपर के बच्चों को अनपूरक आहार देने की ट्रेनिंग दी गई थी। गत दिवस जनपद के सभी 4,118 आंगनबाड़ी केंद्रों में लगभग सभी पर अन्नप्राशन का कार्यक्रम किया गया जिसमें 6 माह से ऊपर के बच्चों को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा पोषाहार से बने आहार खिलाकर अन्नप्राशन किया गया।
· छह महीने पूरे होने के बाद बच्चे को माँ के दूध के साथ-साथ ऊपरी आहार देना बहुत जरुरी होता है, क्योंकि छह महीने के बच्चे की शारीरिक जरूरतें बढ़ जाती है, इसीलिए माँ के दूध के साथ ऊपरी आहार की शुरुआत करना अतिआवश्यक है।
· बच्चे की शारीरिक हलचल बढ़ जाती है, जिसके लिए अधिक ताकत की आवश्यकता होती है, इसीलिए माँ के दूध के साथ ऊपरी आहार की जरुरत होती है।
· इस उम्र मे बच्चो का पाचन संस्थान भोजन पचाने के लिए तैयार हो जाता है।
· छह महीने तक सिर्फ स्तनपान से नवजात शिशु सभी पोषक तत्व प्रदान करता है।