कन्दवा(चन्दौली)। क्षेत्र के ककरैत कंदवा सात किलोमीटर लंबे मार्ग पिछले काफी दिनों से बदहाल है। मार्ग पर इतने गड्ढे है कि पता ही नहीं चलता कि सड़क में गढ्ढे हैं या गड्ढे में सड़क है। अदसड़ गांव में तो मार्ग झील बना हुआ है। जिससे लोग घुटने भर पानी से आवागमन करने को विवश हैं। वहीं पानी के अंदर डूबे गड्ढों की वजह से राहगीर गिरकर अक्सर घायल हो रहे हैं।
क्षेत्र की सड़कों को अब भी अच्छे दिनों का इंतजार है। क्षेत्र की एक भी सड़क ऐसी नहीं है जिस पर राहगीर बिना हिचकोले खाए गुजर जाएं। कुछ ऐसा ही हाल यूपी और बिहार को जोड़ने वाले 7 किमी लम्बे ककरैत कंदवा बाया अदसड़ मार्ग की भी हो गई है।मार्ग पर अदसड़ गांव में बने गढ्ढों और उनमें भरे पानी को देखकर लोगों को झील का अहसास होने लगा है। लोगों कोई दूसरा रास्ता न होने के चलते मजबूरी वश घुटने भर पानी के बीच होकर आवागमन करना पड़ रहा है। अब तो क्षेत्र में विकास के दावे को लेकर चहुंओर सवाल उठने लगे हैं। सामाजिक संस्था अंकुर वेलफेयर सोसायटी के सचिव अजय सिंह का कहना है कि यूपी और बिहार को जोड़ने वाला ककरैत कंदवा मार्ग पिछले काफी महीनों से बदहाल है। लेकिन अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है। सड़क खराब होने के चलते किसी इमरजेंसी में भी कोई वाहन वाला इस मार्ग पर आने को तैयार नहीं होता।जिससे लोगों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है।कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद एक आस जगी थी कि शायद अब इस क्षेत्र की तकदीर और तस्वीर बदल जाए।लेकिन मुख्यमंत्री की गड्ढा मुक्त योजना केवल फाइलों में दब कर रह गई है।जिसका दंश इस क्षेत्र के लोग आज भी भुगत रहे हैं। क्षेत्र के अजीत सिंह, पिंटू सिंह, राजेश पांडेय, कमलेश सिंह, आदि लोगों ने जिलाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराया है।