मोतियाबिंद के मरीजों को निःशुल्क वितरित किया गया चश्मा

मोतियाबिंद के मरीजों को निःशुल्क वितरित किया गया चश्मा

गाजीपुर। राष्ट्रीय अंधता निवारण एवं दृष्टिक्षीणता नियंत्रण कार्यक्रम के तहत सोमवार को 45 साल से ऊपर के 27 बुजुर्गों को सदर विधायक संगीता बलवंत और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ जी सी मौर्य के द्वारा पूर्व माध्यमिक विद्यालय हरिहरपुर में निःशुल्क चश्मा वितरित किया गया। इन सभी मरीजों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर चिन्हित किया गया था।

एसीएमओ, नोडल अधिकारी एवं नेत्र सर्जन डॉ डीपी सिन्हा ने बताया कि 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्म दिवस पर राष्ट्रीय अंधता निवारण एवं दृष्टि क्षीणता नियंत्रण कार्यक्रम के तहत हरिहरपुर पूर्व माध्यमिक विद्यालय पर मोतियाबिंद का कैंप लगाया गया था। इस कैंप में मोतियाबिंद से पीड़ित बुजुर्गों की जांच की गई थी जिसमें 27 मरीज चिन्हित किए गए थे जिन्हें चश्मा दिया जाना था जबकि तीन मरीज मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए चिन्हित किए गए थे। इन तीनों मरीजों का ऑपरेशन भी किया जा चुका है ।
डॉ सिन्हा ने बताया कि लेंस आंख का एक स्पष्ट भाग है जो लाइट, इमेज या छवि को रेटिना पर फोकस करने में सहायता करता है। रेटिना आंख के पिछले भाग पर प्रकाश के प्रति संवेदनशील उतक है। सामान्य आंखों में, प्रकाश पारदर्शी लेंस से रेटिना को जाता है। एक बार जब यह रेटिना पर पहुंच जाता है तो प्रकाश नर्व सिग्नल्स में बदल जाता है जो मस्तिष्क की ओर भेजे जाते हैं। रेटिना स्पष्ट छवि प्राप्त करे इसके लिए जरूरी है कि लेंस ठीक हो। जब लेंस क्लाउडी हो जाता है तो लाइट लेंसों से स्पष्ट रूप से गुजर नहीं पाती जिससे जो इमेज आप देखते हैं वह धुंधली हो जाती है। इसके कारण दृष्टि के बाधित होने को मोतियाबिंद या सफेद मोतिया कहते हैं।
डॉ सिन्हा ने बताया कि मोतियाबिंद क्यों होता है इसके कारणों के बारे में स्पष्ट रूप से पता नहीं है, लेकिन कुछ कारक हैं जो मोतियाबिंद का खतरा बढ़ा देते हैं। बढ़ती उम्र, डायबिटीज, अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन, सूर्य के प्रकाश का अत्यधिक एक्सपोजर, मोतियाबिंद का पारिवारिक इतिहास, उच्च रक्तचाप, मोटापा, आंखों में चोट लगना या सूजन, पहले हुई आंखों की सर्जरी, कार्टिस्टेरॉइड मोडिकेशन का लंबे समय तक इस्तेमाल, धूम्रपान ।
मोतियाबिंद से बचाव के बारे में डॉ सिन्हा ने बताया कि 40 वर्ष के पश्चात नियमित रूप से आंखों की जांच कराएं, सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें मोतियाबिंद विकसित करने में सहायता कर सकती हैं। जब भी बाहर धूप में निकलें तो बचाव का चश्मा लगाएं यह अल्ट्रावायलेट किरणों को ब्लॉक कर देता है। डायबिटीज या दूसरी स्वास्थ्य समस्याएं हैं जिससे मोतियाबिंद का खतरा बढ़ जाता है उनका उचित उपचार कराएं। व्यायाम करें, संतुलित आहार, रंग-बिरंगे फलों और सब्जियों को अपने भोजन में शामिल करें। इनमें बहुत सारे एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो आंखों को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। धूम्रपान छोड़ें और शराब का सेवन कम करें।