धनुष तोड़े जाने और सीता के साथ विवाह की सूचना से पूरे अयोध्या में हर्ष

धनुष तोड़े जाने और सीता के साथ विवाह की सूचना से पूरे अयोध्या में हर्ष

कन्दवा(चन्दौली)। क्षेत्र के अरंगी गांव में चल रही रामलीला के चौथे दिन मंगलवार की रात राम विवाह, राम का राज्याभिषेक, कोपभवन, राम वन गमन, निषादराज मिलन आदि लीलाओं का भावपूर्ण मंचन किया गया।

इस दौरान राम — जानकी का पूरे विधि-विधान से विवाह संपन्न हुआ। बड़ी संख्या में उपस्थित लीला प्रेमी इसके साक्षी बने। इधर जनक की खुशियों का कोई ठिकाना न था तो वहीं दूत पहुंचते ही अयोध्या में भी उल्लास छा गया।
लीला का आरंभ “राम सरिस बरु दुलहिनि सीता। समधी दशरथु जनकु पुनीता” के साथ हुआ। राम द्वारा धनुष तोड़े जाने और सीता के साथ विवाह की सूचना से पूरे अयोध्या में हर्ष और उल्लास छा जाता है। महाराज दशरथ प्रसन्न मुद्रा में भरत से श्रीराम के बारात के लिए हाथी, घोड़ा और रथ तैयार करवाने को कहते हैं। सुमंत दो रथ लेकर आते हैं। एक रथ पर राजा दशरथ और दूसरे पर कुल गुरु वशिष्ठ सवार होते हैं। इसके बाद बारात जनकपुर के लिए प्रस्थान करती है। बारात के जनकपुर पहुंचते ही महाराज जनक की खुशियों का कोई ठिकाना नहीं रहा। महाराज जनक खुद सोने के कलश में जल भरकर विभिन्न पकवानों की थाली के साथ बारात का स्वागत करते हैं। दूसरी ओर से श्री राम और लक्ष्मण गुरु विश्वामित्र के साथ आते हैं। इसके बाद विवाह शुरू होता है। जैसे ही राम –जानकी का विवाह शुरू होता है वैसे ही मंगल गीत के साथ पुष्प वर्षा होने लगती है। चारो तरफ हर हर महादेव का जयकारा लगने लगता है। इसके बाद मंगलाचरण के साथ विवाह की सारी रस्में पूरी होती हैं। भगवान श्रीराम के साथ ही कुल गुरु वशिष्ठ लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का विवाह भी कराते हैं। विवाह के उपरांत सखियां राम की विधिवत आरती उतारती हैं। इसके बाद राज्याभिषेक, कोप भवन,राम वनगमन, निषादराज मिलन,चित्रकूट सभा आदि लीलाओं मार्मिक मंचन किया गया।आरती के साथ लीला का समापन होता है। इस दौरान दिवाकर पांडेय, लीलाधर सिंह, धन्वन्तरी पांडेय, अखिलेश सिंह, त्रिभवन सिंह आदि लीला प्रेमी मौजूद रहे।