श्रीराम के जीवन चरित्र से सीख लेने की जरुरत है-सच्चिदानंद त्रिपाठी

श्रीराम के जीवन चरित्र से सीख लेने की जरुरत है-सच्चिदानंद त्रिपाठी

कंदवा(चन्दौली)। क्षेत्र के गोरखा हनुमान मंदिर पर गोरखा इमिलिया मानस समिति के तत्वाधान में पांच दिवसीय श्रीराम कथा के पांचवें दिन शुक्रवार को आजमगढ़ से आए कथावाचक पण्डित गोविंद शास्त्री जी महाराज व वाराणसी से पधारे सच्चिदानंद त्रिपाठी जी ने श्रोताओं को मानस कथा की अविरल गंगा में खूब गोते लगवाए। सच्चिदानंद त्रिपाठी जी महाराज ने कथा सुनाते हुए कहा कि लोगों को श्रीराम के जीवन चरित्र से सीख लेने की जरुरत है।

उन्होंने मंगल भवन अमंगल हारी और मंगल मूरति मारुति नन्दन,-सकल अमंगल मूल निकन्दन की व्याख्या करते हुए कहा कि भगवान राम मंगल के भवन और अमंगल को हरने वाले हैं तो रामकथा मंगल करने वाली है। वहीं भगवान के भक्त मंगल की मूर्ति हैं। कहा कि संसार में काम, क्रोध, लोभ, मोह का त्याग करना चाहिए।आजमगढ़ से पधारे पंडित गोविंद शास्त्री ने हनुमान चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि रामभक्त हनुमान ने अपने जीवन में जितने भी बड़े कार्य किए सूक्ष्म रूप धारण कर ही किए।कहा कि हनुमान का चरित्र सम्पूर्ण मानव मात्र के लिए आदर्श है।उन्होंने कहा कि प्रभु राम धरती पर जितने भी लक्ष्य लेकर पृथ्वी पर आए उसे हनुमान ने ही पूरा किया। भगवान राम के हृदय में भाई भरत,जानकी,लक्ष्मण,सुग्रीव एवं विभीषण बसते थे। परन्तु इन सबकी रक्षा हनुमान जी ने किया। कथा श्रवण करने वालों में सूर्यभान सिंह, हरीश सिंह, इंदल बाबा, सतीश सिंह, विनोद तिवारी, कपिलदेव उपाध्याय, सियाराम यादव, पप्पू सिंह आदि लोग शामिल रहे।